रियल्टी चेक, मौहल्ला क्लीनिकों को डाॅक्टर नहीं पैरामेडिकल स्टाॅफ चला रहे हैं: मनोज तिवारी
रियल्टी चेक बताते हैं कि अधिकतर मौहल्ला क्लीनिकों को डाॅक्टर नहीं पैरामेडिकल स्टाॅफ चला रहे हैं, दवाइयां ज्यादातर एक्सपायरी डेट के नजदीक की मिलती हैं, टेस्ट केवल कागजों में होते हैं, यदि श्री कोफी अन्नान को यह सत्य मालूम पड़ जाये तो शायद वह अपना योजना का प्रोत्साहन पत्र भी केजरीवाल सरकार से वापस मंगा लें - मनोज तिवारी
नई दिल्ली, 29 जनवरी। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने कहा है कि जनता को अच्छी स्वास्थ्य सेवायें प्रदान करना किसी भी सरकार का दायित्व है पर जब उस दायित्व की आड़ में राजनीति और ऐसा दिखावा होने लगे जो कि जनता के स्वास्थ्य के लिये भी हानिकारक हो सकता है तो यह भत्र्सना का विषय बन जाता है। उन्होंने कहा है कि बड़े सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ किसी भी शहर में छोटी डिस्पेंसरियां महत्वपूर्ण होती हैं और इसी तरह की व्यवस्था शिकायतों के बावजूद दिल्ली में 2015 के प्रारम्भ तक चलती थी।
श्री तिवारी ने कहा है कि 2015 में दिल्ली में राजनीतिक छलावों के खिलाड़ी अरविंद केजरीवाल की सरकार सत्ता में आई और सरकारी अस्पतालों के विस्तार एवं 1000 मौहल्ला क्लीनिकों का आदर्श स्वप्न बेचा। मौहल्ला क्लीनिक की योजना एक आदर्श योजना है और राजनीति से परे हर व्यक्ति को आवश्यक एवं अच्छी लगती है पर अरविंद केजरीवाल का उद्देश्य इससे जनता की सेवा नहीं राजनीतिक लाभ लेना था। इसी के चलते उन्होंने इन क्लीनिकों का नाम आम आदमी क्लीनिक रख कर इसको राजनीतिक विवाद का विषय बनाया क्योंकि यह नाम उनके राजनीतिक दल के नाम से मिलता था अतः विरोध स्वाभाविक था।
दो साल में 1000 मौहल्ला क्लीनिक खोलने का स्वप्न दिखाने वाली अरविंद केजरीवाल सरकार ने बमुश्किल 110 मौहल्ला क्लीनिक खोलीं और एक ताजा रीयल्टी चेक में पाया गया उनमें से अधिकतर या तो बंद पड़ी हैं या फिर उनमें डाॅक्टर नहीं नौसिखिये पैरामेडिकल कर्मी लोगों को दवा बांटकर खिलवाड़ कर रहे हैं, मेडिकल टेस्ट केवल कागजों में होते हैं। श्री तिवारी ने कहा है कि सत्य यह है कि सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं के मकानों में खुली अधिकतर मौहल्ला क्लीनिक उनकी आमदनी का जरिया बन गयी हैं। इस बीच दिल्ली में पहले से चलने वाली दिल्ली सरकार की डिस्पेंसरियों में से अधिकतर को केजरीवाल सरकार ने बंद कर दिया है या उनका नाम बदलकर मौहल्ला क्लीनिक रख दिया है।
श्री तिवारी ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने लगातार पंजाब-गोवा सहित देश की जनता को गुमराह करने के लिये मौहल्ला क्लीनिक का राजनीतिक प्रचार किया है और यू.एन.ओ. के पूर्व महासचिव श्री कोफी अन्नान के मौहल्ला क्लीनिक की आदर्श योजना की तारीफ को भी राजनीतिक उपलब्धि के तौर पर दिखाने की कोशिश की जा रही है। श्री कोफी अन्नान ने कागजों पर दिखाई योजना की तारीफ की है न कि मौहल्ला क्लीनिकों के हालात की। सत्य यह है कि यदि उन्हें यह मालूम पड़ जाये कि मौहल्ला क्लीनिकों को आधी-अधूरी शिक्षा वाले पैरामेडिकल स्टाॅफ चला रहे हैं, वहां मिलने वाली अधिकतर दवाइयां एक्सपायरी डेट के नजदीक होती हैं तो शायद श्री कोफी अन्नान अपना वह पत्र भी केजरीवाल सरकार से वापस मंगा लें।
नई दिल्ली, 29 जनवरी। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने कहा है कि जनता को अच्छी स्वास्थ्य सेवायें प्रदान करना किसी भी सरकार का दायित्व है पर जब उस दायित्व की आड़ में राजनीति और ऐसा दिखावा होने लगे जो कि जनता के स्वास्थ्य के लिये भी हानिकारक हो सकता है तो यह भत्र्सना का विषय बन जाता है। उन्होंने कहा है कि बड़े सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ किसी भी शहर में छोटी डिस्पेंसरियां महत्वपूर्ण होती हैं और इसी तरह की व्यवस्था शिकायतों के बावजूद दिल्ली में 2015 के प्रारम्भ तक चलती थी।
श्री तिवारी ने कहा है कि 2015 में दिल्ली में राजनीतिक छलावों के खिलाड़ी अरविंद केजरीवाल की सरकार सत्ता में आई और सरकारी अस्पतालों के विस्तार एवं 1000 मौहल्ला क्लीनिकों का आदर्श स्वप्न बेचा। मौहल्ला क्लीनिक की योजना एक आदर्श योजना है और राजनीति से परे हर व्यक्ति को आवश्यक एवं अच्छी लगती है पर अरविंद केजरीवाल का उद्देश्य इससे जनता की सेवा नहीं राजनीतिक लाभ लेना था। इसी के चलते उन्होंने इन क्लीनिकों का नाम आम आदमी क्लीनिक रख कर इसको राजनीतिक विवाद का विषय बनाया क्योंकि यह नाम उनके राजनीतिक दल के नाम से मिलता था अतः विरोध स्वाभाविक था।
दो साल में 1000 मौहल्ला क्लीनिक खोलने का स्वप्न दिखाने वाली अरविंद केजरीवाल सरकार ने बमुश्किल 110 मौहल्ला क्लीनिक खोलीं और एक ताजा रीयल्टी चेक में पाया गया उनमें से अधिकतर या तो बंद पड़ी हैं या फिर उनमें डाॅक्टर नहीं नौसिखिये पैरामेडिकल कर्मी लोगों को दवा बांटकर खिलवाड़ कर रहे हैं, मेडिकल टेस्ट केवल कागजों में होते हैं। श्री तिवारी ने कहा है कि सत्य यह है कि सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं के मकानों में खुली अधिकतर मौहल्ला क्लीनिक उनकी आमदनी का जरिया बन गयी हैं। इस बीच दिल्ली में पहले से चलने वाली दिल्ली सरकार की डिस्पेंसरियों में से अधिकतर को केजरीवाल सरकार ने बंद कर दिया है या उनका नाम बदलकर मौहल्ला क्लीनिक रख दिया है।
श्री तिवारी ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने लगातार पंजाब-गोवा सहित देश की जनता को गुमराह करने के लिये मौहल्ला क्लीनिक का राजनीतिक प्रचार किया है और यू.एन.ओ. के पूर्व महासचिव श्री कोफी अन्नान के मौहल्ला क्लीनिक की आदर्श योजना की तारीफ को भी राजनीतिक उपलब्धि के तौर पर दिखाने की कोशिश की जा रही है। श्री कोफी अन्नान ने कागजों पर दिखाई योजना की तारीफ की है न कि मौहल्ला क्लीनिकों के हालात की। सत्य यह है कि यदि उन्हें यह मालूम पड़ जाये कि मौहल्ला क्लीनिकों को आधी-अधूरी शिक्षा वाले पैरामेडिकल स्टाॅफ चला रहे हैं, वहां मिलने वाली अधिकतर दवाइयां एक्सपायरी डेट के नजदीक होती हैं तो शायद श्री कोफी अन्नान अपना वह पत्र भी केजरीवाल सरकार से वापस मंगा लें।
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