इन्वर्टर और डीजल जनरेटर मुक्त दिल्ली -- श्री पीयूष गोयल द्वारा जारी किया गया प्रेस वक्तव्य
नई दिल्ली, 1 फरवरी। मई 2014 में दिल्ली में ग्रिड के ठप्प हो जाने के फलस्वरूप कारण बिजली सप्लाई में
अनेकों बार कटौती होने के बाद केन्द्रीय सरकार ने बिजली सप्लाई पुनः शुरू करने और सभी घरों को बिजली सप्लाई बहाल करने के लिये निर्णायक कदम उठाये थे। दिल्ली में बिजली की मूलभूत सुविधाओं में सुधार करने के लिये सरकार ने एक अल्पकालिक और मध्यकालिक योजना बनाई जिससे कि भविष्य में इस प्रकार का संकट न हो सके। बिजली सप्लाई की मूलभूत सुविधाओं में व्यापक सुधार के लिये 7,791 करोड़ रूपये की परियोजनायें तैयार की जा रही हैं। ऐसे महत्वपूर्ण पहल इस प्रकार हैंः-
ऽ राजधानी में और अधिक पारेषण लाइने लाना - राजघाट में चार 400/220 केवी जीआईएस सबस्टेशन जिसकी क्षमता 4ग500 एमवीए है, तुगलकाबाद, कर्मपुरा और पप्पनकला -1, दिल्ली और उसके चारों और 400 किलोवाट नेटवर्क की स्थापना की गई जिससे कि पारेषण की मजबूत और भरोसेमंद सुविधा मिले और दिल्ली में 7400 मेगावाट बिजली लाई जा सके।
ऽ वर्तमान पारेषण लाइनों/सबस्टेशनों की नियमित जांच की जा रही है। विशेषरूप से उन पर पड़ने वाले क्रिटिकल लोड की, जिससे कि भविष्य में ट्रिपिंग से बचा जा सके।
ऽ घनी आबादी वाले क्षेत्रों और पर्यटक केन्द्रों में भूमिगत केबल लगाना, गलत बिल बनने से रोकने के लिये व्यापक रूप से स्मार्ट मीटर लगाना।
ऽ तुरंत बिजली बहाली के लिये आपात रिस्पांस सिस्टम लगाना।
इसके अतिरिक्त हाल ही में दिल्ली के लिये में इंटेग्रेटेड पाॅवर डेवलेपमेंट स्कीम जो लगभग 317 करोड़ रूपये की है शुरू की गई जिससे की सबट्रांसमीसन एंड डिस्ट्रीब्यूशन इंफ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि करके बिजली की हानि में कमी की जा सके तथा बेहतर उपभोक्ता सेवा के लिये आई.टी. का उपयोग किया जायेगा।
उपभोक्ता अपनी पसंद की बिजली सप्लाई कंपनी चुन सके इसका प्रावधान करने के लिये संसद में विद्युत अधिनियम संशोधन करना।
मोबाइल फोन की तरह उपभोक्ता अपनी बिजली सप्लाई के लिये कंपनी चुन सकेंगे, जिससे कि उन्हें कम कीमत पर निश्चित और बेहतर सेवा मिल सके। वे बिजली सप्लायर कंपनी भी बदल सकेंगे यदि वे उनकी सेवा से या बिल से परेशान हो।
इससे अधिक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी - सस्ती बिजली, अच्छी बिजली, पूरी बिजली।
दिल्ली के उपभोक्ताओं के लिये बिजली की दरों में कमी करने के अन्य उपाय -
ऽ 200 यूनिट तक बिजली खपत करने वालों के लिये 1.20 रू. और 200-400 यूनिट तक खपत करने वालों के लिये 80 पैसे की सब्सिडी पूरे साल के लिये दिया जाना।
ऽ दिल्ली के उपभोक्ताओं से भार कम करने के लिये बिजली संयंत्रों को आधुनिक बनाने की स्कीम में सहायता के लिये दिल्ली सरकार की बजट में 200 करोड़ रूपये दिये गये।
ऽ सस्ती बिजली खरीद कर और पूर्व सरकार के महंगे कंट्रेक्ट को रद्द करके 700 करोड़ रूपये से अधिक की बचत की गई।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय एलईडी और ऊर्जा बचत मिशन के शुरू होने के बाद करके दिल्ली में एक साल के भीतर पुराने बल्बों के स्थान पर 1 करोड़ एलईडी बल्ब लगाये जायेंगे। इसी प्रकार दिल्ली में 5 लाख स्ट्रीट लाइटों को भी बदलने का कार्यक्रम है। सात वर्षों में 2000 करोड़ की बचत हो सकेगी जिसका फायदा उपभोक्ताओं को दिया जायेगा।
ऽ उपभोक्ताओं पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा क्योंकि एलईडी बल्ब लगाने का खर्चा बचत से पूरा होगा।
ऽ एलईडी से बेहतर प्रकाश व्यवस्था हो सकेगी तथा धन और ऊर्जा की बचत भी होगी और अन्य लाभ भी होंगे।
ऽ महिलाओं की सुरक्षा होगी।
ऽ छोटे व्यापारी भी अपनी दुकानें अधिक समय तक खुली रख सकेंगे।
ऽ सड़कों पर दुर्घटनायें कम होंगी और ट्रैफिक भी आसानी से चलेगा।
ऽ बिजली की खपत कम होने से पर्यावरण संरक्षण और सीओ-2 उत्सर्जन में कमी होगी।
अनेकों बार कटौती होने के बाद केन्द्रीय सरकार ने बिजली सप्लाई पुनः शुरू करने और सभी घरों को बिजली सप्लाई बहाल करने के लिये निर्णायक कदम उठाये थे। दिल्ली में बिजली की मूलभूत सुविधाओं में सुधार करने के लिये सरकार ने एक अल्पकालिक और मध्यकालिक योजना बनाई जिससे कि भविष्य में इस प्रकार का संकट न हो सके। बिजली सप्लाई की मूलभूत सुविधाओं में व्यापक सुधार के लिये 7,791 करोड़ रूपये की परियोजनायें तैयार की जा रही हैं। ऐसे महत्वपूर्ण पहल इस प्रकार हैंः-
ऽ राजधानी में और अधिक पारेषण लाइने लाना - राजघाट में चार 400/220 केवी जीआईएस सबस्टेशन जिसकी क्षमता 4ग500 एमवीए है, तुगलकाबाद, कर्मपुरा और पप्पनकला -1, दिल्ली और उसके चारों और 400 किलोवाट नेटवर्क की स्थापना की गई जिससे कि पारेषण की मजबूत और भरोसेमंद सुविधा मिले और दिल्ली में 7400 मेगावाट बिजली लाई जा सके।
ऽ वर्तमान पारेषण लाइनों/सबस्टेशनों की नियमित जांच की जा रही है। विशेषरूप से उन पर पड़ने वाले क्रिटिकल लोड की, जिससे कि भविष्य में ट्रिपिंग से बचा जा सके।
ऽ घनी आबादी वाले क्षेत्रों और पर्यटक केन्द्रों में भूमिगत केबल लगाना, गलत बिल बनने से रोकने के लिये व्यापक रूप से स्मार्ट मीटर लगाना।
ऽ तुरंत बिजली बहाली के लिये आपात रिस्पांस सिस्टम लगाना।
इसके अतिरिक्त हाल ही में दिल्ली के लिये में इंटेग्रेटेड पाॅवर डेवलेपमेंट स्कीम जो लगभग 317 करोड़ रूपये की है शुरू की गई जिससे की सबट्रांसमीसन एंड डिस्ट्रीब्यूशन इंफ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि करके बिजली की हानि में कमी की जा सके तथा बेहतर उपभोक्ता सेवा के लिये आई.टी. का उपयोग किया जायेगा।
उपभोक्ता अपनी पसंद की बिजली सप्लाई कंपनी चुन सके इसका प्रावधान करने के लिये संसद में विद्युत अधिनियम संशोधन करना।
मोबाइल फोन की तरह उपभोक्ता अपनी बिजली सप्लाई के लिये कंपनी चुन सकेंगे, जिससे कि उन्हें कम कीमत पर निश्चित और बेहतर सेवा मिल सके। वे बिजली सप्लायर कंपनी भी बदल सकेंगे यदि वे उनकी सेवा से या बिल से परेशान हो।
इससे अधिक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी - सस्ती बिजली, अच्छी बिजली, पूरी बिजली।
दिल्ली के उपभोक्ताओं के लिये बिजली की दरों में कमी करने के अन्य उपाय -
ऽ 200 यूनिट तक बिजली खपत करने वालों के लिये 1.20 रू. और 200-400 यूनिट तक खपत करने वालों के लिये 80 पैसे की सब्सिडी पूरे साल के लिये दिया जाना।
ऽ दिल्ली के उपभोक्ताओं से भार कम करने के लिये बिजली संयंत्रों को आधुनिक बनाने की स्कीम में सहायता के लिये दिल्ली सरकार की बजट में 200 करोड़ रूपये दिये गये।
ऽ सस्ती बिजली खरीद कर और पूर्व सरकार के महंगे कंट्रेक्ट को रद्द करके 700 करोड़ रूपये से अधिक की बचत की गई।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय एलईडी और ऊर्जा बचत मिशन के शुरू होने के बाद करके दिल्ली में एक साल के भीतर पुराने बल्बों के स्थान पर 1 करोड़ एलईडी बल्ब लगाये जायेंगे। इसी प्रकार दिल्ली में 5 लाख स्ट्रीट लाइटों को भी बदलने का कार्यक्रम है। सात वर्षों में 2000 करोड़ की बचत हो सकेगी जिसका फायदा उपभोक्ताओं को दिया जायेगा।
ऽ उपभोक्ताओं पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा क्योंकि एलईडी बल्ब लगाने का खर्चा बचत से पूरा होगा।
ऽ एलईडी से बेहतर प्रकाश व्यवस्था हो सकेगी तथा धन और ऊर्जा की बचत भी होगी और अन्य लाभ भी होंगे।
ऽ महिलाओं की सुरक्षा होगी।
ऽ छोटे व्यापारी भी अपनी दुकानें अधिक समय तक खुली रख सकेंगे।
ऽ सड़कों पर दुर्घटनायें कम होंगी और ट्रैफिक भी आसानी से चलेगा।
ऽ बिजली की खपत कम होने से पर्यावरण संरक्षण और सीओ-2 उत्सर्जन में कमी होगी।
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