भारतीय जनता पार्टी के आआपा से 5 सवाल
नई दिल्ली, 1 फरवरी। भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में स्थायी सरकार बनाने और दिल्ली के सर्वांगीण विकास तथा दिल्ली को वल्र्ड क्लास स्मार्ट सिटी बनाने के लिये चुनाव लड़ रही है। दूसरी तरफ आआपा झूठे वायदे और अफवाहों को आधार बनाकर दिल्ली की जनता को गुमराह करने का कुप्रयास कर रही है। इसलिए भाजपा आआपा एवं उसके संयोजक श्री अरविंद केजरीवाल से 5 सवाल पूछ रही है। इसमें कुछ सवाल पुराने हो सकते हैं परन्तु आआपा ने उनके उत्तर नहीं दिये हैं इसलिए उनको तब तक पूछते रहना आवश्यक है जब तक कि वे उनके उत्तर न दे देते।
आज भाजपा कार्यालय में वरिष्ठ भाजपा नेता श्रीमती निर्मला सीतारमन ने पांच सवाल पूछे हैं और आआपा नेतृत्व से उनका जवाब देने या इंकार करने को कहा है।
प्रश्न-1 बिजली बिल अभियान में झूठ क्यों ?
आआपा ने बिजली की तुलनात्मक दरों की होर्डिंग लगायी हैं। यह आश्चर्य की बात है कि इन होर्डिंगों में प्रति यूनिट जनवरी, 2014 की न्यूनतम दरों के साथ जनवरी, 2015 की अधिकतम् दरों के साथ तुलना की गई है। स्पष्टतः यह अभियान झूठा है।
आआपा इंकार करे अपने झूठ को स्वीकार करेे ?
प्रश्न-2 पानी की दरों के अभियान में झूठ क्यों ?
आआपा ने पानी की तुल्नात्मक दरों की होर्डिंग लगाई है। यह आश्चर्य की बात है कि इन होर्डिंगों में पूरी तरह झूठी तुलना की गई है। इस अभियान में कहा गया है कि जनवरी, 2014 में पानी मुफ्त दिया जाता था जबकि जनवरी, 2015 में घरेलू उपभोक्ताओं से 13 रूपये प्रति लीटर लिया जा रहा है।
इससे बड़ा कोई झूठ नहीं हो सकता। आज दिल्ली में घरेलू उपभोक्ताओं के लिये 2.66 रूपये प्रति किलोलीटर लिये जाते हैं। 13 रूपये प्रति किलोलीटर की दर औद्योगिक उपभोक्ताओं को लागू होता है।
आआपा को इससे इंकार करने या अपने झूठ को स्वीकार करने ?
प्रश्न-3 सरकारी सेवा के दौरान सही पदनाम बताने में झूठ क्यों ?
आईआरएस सदस्य के रूप में श्री अरविन्द केजरीवाल केवल आयकर उपायुक्त थे किन्तु अनेकों बार उन्होंने अपने भाषणों में बताया गया कि मैं आयकर विभाग में आयुक्त या संयुक्त आयुक्त था। इतना ही नहीं आईआरएस सेवा के दौरान ऐसा कोई सबूत नहीं है कि उन्होंने कोई उत्कृष्ठ सेवा की हो जैसे कि कर चोरी का पता लगाना या कोई अन्य वित्तीय या किसी कम्पनी/व्यक्ति द्वारा की गई कोई अन्य वित्ती अनियमित्ता। वास्तव में अधिकांश समय छुट्टी पर रहकर विदेश भ्रमण करते रहे। कभी भी दिल्ली से बाहर स्थानान्तरित नहीं हुये क्यों ? भारतीय राजस्व सेवा ने भी तारीख 22 नवम्बर, 2013 को लिखे गये पत्र में यह मुद्दा उठाया और कहा है कि आयुक्त होने का दावा न करें। वास्तविकता यह है कि जिस बैच के वो आईआरएस आॅफिसर थे उसकी अभी प्रोन्नति हुई ही नहीं है।
क्या आआपा को यह स्पष्ट नहीं करना चाहिए ?
प्रश्न-4 श्री केजरीवाल ने पुलिस आयुक्त की उपस्थिति/अनुपस्थिति के बारे गुमराह क्यों किया और जनवरी, 2014 में अराजक स्थिति क्यों पैदा की ?
श्री अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते हुये धरने पर बैठे और अराजक स्थिति पैदा कर दी और बहाना यह बनाया कि पुलिस आयुक्त दिल्ली में नहीं थे इसी कारण उनसे संपर्क नहीं हो सका।
सच्चाई यह थी कि पुलिस आयुक्त दिल्ली में ही थे किन्तु श्री केजरीवाल ने उनसे संपर्क नहीं किया और इस बात को मीडिया ने धरने के दिनों मंे विस्तारपूर्वक बताया यह धरना देश के किसी भी मुख्यमंत्री द्वारा कानून और व्यवस्था की गंभीर स्थिति पैदा करने का एक प्रयास था।
आआपा इसे इंकार करे या यह स्वीकार करे कि श्री केजरीवाल ने दिल्लीवालों से झूठ बोला ?
प्रश्न-5 निर्वाचन क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के बारे में केजरीवाल ने झूठ क्यों बोला ?
श्री केजरीवाल प्रतिबद्धता के बारे में बहुत कुछ कहते हैं। पहले वह अपनी जिम्मेदारियों से भागे। वारायणसी भी गये और वहां के लोगों को कहा “हारूं या जीतूं मगर बार आऊंगा“ क्या श्री केजरीवाल यह बतायेंगे कि मई, 2014 के बाद कितनी बार वारायणसी गये ?
क्या आआपा को श्री केजरीवाल की क्षेत्र के प्रतिबद्धता को स्पष्ट नहीं करना चाहिए ?
ईमादारी का चोला पहने वाले आआपा संयोजक से उम्मीद है कि इन पांचों सवालों का जवाब ईमानदारी से देंगे।
आज भाजपा कार्यालय में वरिष्ठ भाजपा नेता श्रीमती निर्मला सीतारमन ने पांच सवाल पूछे हैं और आआपा नेतृत्व से उनका जवाब देने या इंकार करने को कहा है।
प्रश्न-1 बिजली बिल अभियान में झूठ क्यों ?
आआपा ने बिजली की तुलनात्मक दरों की होर्डिंग लगायी हैं। यह आश्चर्य की बात है कि इन होर्डिंगों में प्रति यूनिट जनवरी, 2014 की न्यूनतम दरों के साथ जनवरी, 2015 की अधिकतम् दरों के साथ तुलना की गई है। स्पष्टतः यह अभियान झूठा है।
आआपा इंकार करे अपने झूठ को स्वीकार करेे ?
प्रश्न-2 पानी की दरों के अभियान में झूठ क्यों ?
आआपा ने पानी की तुल्नात्मक दरों की होर्डिंग लगाई है। यह आश्चर्य की बात है कि इन होर्डिंगों में पूरी तरह झूठी तुलना की गई है। इस अभियान में कहा गया है कि जनवरी, 2014 में पानी मुफ्त दिया जाता था जबकि जनवरी, 2015 में घरेलू उपभोक्ताओं से 13 रूपये प्रति लीटर लिया जा रहा है।
इससे बड़ा कोई झूठ नहीं हो सकता। आज दिल्ली में घरेलू उपभोक्ताओं के लिये 2.66 रूपये प्रति किलोलीटर लिये जाते हैं। 13 रूपये प्रति किलोलीटर की दर औद्योगिक उपभोक्ताओं को लागू होता है।
आआपा को इससे इंकार करने या अपने झूठ को स्वीकार करने ?
प्रश्न-3 सरकारी सेवा के दौरान सही पदनाम बताने में झूठ क्यों ?
आईआरएस सदस्य के रूप में श्री अरविन्द केजरीवाल केवल आयकर उपायुक्त थे किन्तु अनेकों बार उन्होंने अपने भाषणों में बताया गया कि मैं आयकर विभाग में आयुक्त या संयुक्त आयुक्त था। इतना ही नहीं आईआरएस सेवा के दौरान ऐसा कोई सबूत नहीं है कि उन्होंने कोई उत्कृष्ठ सेवा की हो जैसे कि कर चोरी का पता लगाना या कोई अन्य वित्तीय या किसी कम्पनी/व्यक्ति द्वारा की गई कोई अन्य वित्ती अनियमित्ता। वास्तव में अधिकांश समय छुट्टी पर रहकर विदेश भ्रमण करते रहे। कभी भी दिल्ली से बाहर स्थानान्तरित नहीं हुये क्यों ? भारतीय राजस्व सेवा ने भी तारीख 22 नवम्बर, 2013 को लिखे गये पत्र में यह मुद्दा उठाया और कहा है कि आयुक्त होने का दावा न करें। वास्तविकता यह है कि जिस बैच के वो आईआरएस आॅफिसर थे उसकी अभी प्रोन्नति हुई ही नहीं है।
क्या आआपा को यह स्पष्ट नहीं करना चाहिए ?
प्रश्न-4 श्री केजरीवाल ने पुलिस आयुक्त की उपस्थिति/अनुपस्थिति के बारे गुमराह क्यों किया और जनवरी, 2014 में अराजक स्थिति क्यों पैदा की ?
श्री अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते हुये धरने पर बैठे और अराजक स्थिति पैदा कर दी और बहाना यह बनाया कि पुलिस आयुक्त दिल्ली में नहीं थे इसी कारण उनसे संपर्क नहीं हो सका।
सच्चाई यह थी कि पुलिस आयुक्त दिल्ली में ही थे किन्तु श्री केजरीवाल ने उनसे संपर्क नहीं किया और इस बात को मीडिया ने धरने के दिनों मंे विस्तारपूर्वक बताया यह धरना देश के किसी भी मुख्यमंत्री द्वारा कानून और व्यवस्था की गंभीर स्थिति पैदा करने का एक प्रयास था।
आआपा इसे इंकार करे या यह स्वीकार करे कि श्री केजरीवाल ने दिल्लीवालों से झूठ बोला ?
प्रश्न-5 निर्वाचन क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के बारे में केजरीवाल ने झूठ क्यों बोला ?
श्री केजरीवाल प्रतिबद्धता के बारे में बहुत कुछ कहते हैं। पहले वह अपनी जिम्मेदारियों से भागे। वारायणसी भी गये और वहां के लोगों को कहा “हारूं या जीतूं मगर बार आऊंगा“ क्या श्री केजरीवाल यह बतायेंगे कि मई, 2014 के बाद कितनी बार वारायणसी गये ?
क्या आआपा को श्री केजरीवाल की क्षेत्र के प्रतिबद्धता को स्पष्ट नहीं करना चाहिए ?
ईमादारी का चोला पहने वाले आआपा संयोजक से उम्मीद है कि इन पांचों सवालों का जवाब ईमानदारी से देंगे।
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