सीबीआई द्वारा आज स्वास्थ्य सचिव व अन्यों पर मामला दर्ज
मुख्यमंत्री तथा स्वास्थ्य मंत्री की मिलीभगत से दिल्ली सरकार के अस्पतालों में अपनी चहेती तीन सुरक्षा एजेंसियों को बिना टेंडर के 10.50 करोड़ रूपये का काम सौंपा गया, बिना उपराज्यपाल की अनिवार्य सहमति के कैविनेट ने अपने स्तर पर ही मामले को स्वीकृति प्रदान करी। भारत सरकार के वित्तीय नियमों का अनदेखी करते हुए बिना टेंडर आमंत्रित किये काम सौंपा गया-विजेन्द्र गुप्ता
विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने आज मुख्यमंत्री केजरीवाल तथा स्वास्थ्य मंत्री सतेन्द्र जैन पर आरोप लगाया कि उनकी आपसी मिलीभगत के चलते दिल्ली सरकार के अस्पतालों में तीन सुरक्षा एजेंसियों को बिना निविदाये आमंत्रित किये नामांकन के आधार पर नियुक्त किया। इतने बड़े मामलों को स्वीकृति देने से पूर्व उपराज्यपाल की पूर्व अनुमति कानूनी रूप से अनिवार्य होती है परन्तु सरकार ने इसकी अवहेलना करते हुए अपने ही स्तर पर इसकी स्वीकृति दे दी।
विजेन्द्र गुप्ता ने बताया कि दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग ने यह मामला सीबीआई को जांच हेतु भेजा था। इस पर सीबीआई ने आज पूर्व स्वास्थ सचिव, तीन प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों तथा अनजान व्यक्तियों के खिलाफ घोर अनियमितायें बरतने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया है। इस संबंध में आज स्वास्थ्य विभाग के अनेक कार्यालयों में छापेमारी की गई। उन्होंने कहा कि सारे मामलें में 10.50 करोड़ रूपये का घोटाला हुआ।
विपक्ष के नेता ने कहा कि पूर्व स्वास्थ्य सचिव डा0 तरूण सेम ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के दवाब में आकर उनकी पसंदीदा तीन सुरक्षा एजेंसियों को सीधे ही काम सौंप दिया गया और उसके पश्चात कैविनेट में बिना उपराज्यपाल की अनुमति के स्वीकृति प्रदान कर दी। अब सीबीआई द्वारा केस रजिस्टर करने के बाद स्वास्थ्य मंत्री सारा ढीकरा अधिकारियों पर फोड़कर कायरतापूर्वक अपने दायित्वों से बच रहे हैं। उनका यह कहना बिल्कुल गलत है कि मंत्री का निविदा प्रक्रिया से क्या लेना-देना। कैंविनेट में निर्णय लेने पर मुख्यमंत्री और संबंधित मंत्री अपने दायित्व से नहीं बच सकते। इस गलत निर्णय के लिए वे दोनों सीधे तौर पर पूरी तरह जिम्मेदार हैं।
विपक्ष के नेता ने कहा कि सरकार के उच्च पदाधिकारियों ने अपनी तीन चुनी हुई चहेती सुरक्षा एजेंसियों को सुरक्षा का काम भारत सरकार के वित्तीय नियमों को ताक पर रखते हुए सौंप दिया । इतना ही नहीं काम सौंपने में केन्द्रीय सतर्कता आयोग के दिशा निर्देशों, निर्धारित टेंडर प्रक्रिया आदि जैसे मूलभूत वित्त औपचारिकताओं का उल्लंघन हुआ । अत्यधिक आवश्यक कोडल औपचारिकताएं तक नहीं पूरी की गई । संबंधित विभाग द्वारा मेन पावर की आवश्यकता का भी अध्ययन नहीं किया गया और इस सारे काम में होने वाले खर्च का अनुमान भी नहीं लगाया गया ।
विजेन्द्र गुप्ता के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने कर्मचारियों की संख्या की आवश्यकता और खर्चे के अनुमान लगाने का काम स्वयं न करके संबंधित सुरक्षा एजेंसियों को सौंप दिया । उन्होंने जो भी अनुमान दिये वे विभाग द्वारा आंख मूंदकर स्वीकार कर लिये। यह निर्धारित प्रक्रियाओं का घोर उल्लंघन था । दिल्ली सरकार ने सुरक्षा एजेंसियों को नियुक्त करने के लिए एक मॉडल टेंडर की प्रक्रिया स्वीकृत कर रखी है । अभी तक इसे स्टेंडर्ड मॉडल मानकर काम किया जाता रहा था परंतु इस मामले में ऐसा नहीं किया गया । इसमें ऐसे पद सृजित कर दिये गये जो इसमंे स्वीकृत नहीं थे जैसे कि लेडी गार्ड, मार्शल तथा सुरक्षा अधिकारी ।
विजेंन्द्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि यह सारी औपचारिकताएं अपारदर्शी तरीके से पूरी की गयी । यहां तक कि केबिनेट की स्वीकृति भी तीनों एजेंसियों को वर्क आर्डर देने के बाद बैक-डेट से ली गयी । नियमानुसार इसके लिए उपराज्यपाल से पहले स्वीकृति लेनी आवश्यक थी परंतु इस मामले में ऐसा नहीं किया गया ।
विपक्ष के नेता ने कहा कि तीनों एजेंसियों का चुनाव टेंडर की निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप न करके नामांकन के आधार पर किया गया । ऐसा करने के लिए आपातकालीन स्थिति का हवाला दिया गया परंतु वास्तव में कुछ एक छूटपुट घटनाओं को छोड़कर यह कोई विकट स्थिति नहीं थी । सरकार ने इस संबंध में कभी पुलिस अधिकारियों को नहीं लिखा और न ही पूर्व सैनिकों होम गार्डों तथा सिविल डिफेंस वॉलन्टियर को इस काम में सम्मिलित करने की चेष्टा की । विजेन्द्र गुप्ता ने आशा व्यक्त करी की अब जब इस मामले की सीबीआई द्वारा जांच की जा रही है तब इसमें मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका की भी पोल खुल जायेगी।
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