दिल्ली सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरूद्ध दिल्ली भाजपा ने विधानसभा के समीप किया प्रदर्शन
नई दिल्ली, 31 मई। दिल्ली भाजपा ने आज दिल्ली सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरूद्ध विधानसभा के समीप एक विरोध मार्च का आयोजन किया। प्रदेश उपाध्यक्ष श्री राजीव बब्बर, श्री जय प्रकाश और श्री अभय वर्मा ने इस मार्च का नेतृत्व किया।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता, दिल्ली भाजपा पदाधिकारी श्री रविन्द्र गुप्ता, श्री जय प्रकाश, श्री अनिल शर्मा, श्री अजय महावर, श्री रोशन कंसल और श्री अरिवन्द गर्ग तथा अनेक पार्षद इसमें सम्मिलित हुये जिन्हें प्रदेश पदाधिकारियों ने सम्बोधित किया।
इस अवसर पर श्री राजीव बब्बर ने कहा कि केजरीवाल सरकार में भ्रष्टाचार और भाई भतीजेवाद के संबंध में अनेक खुलासे हुये हैं किन्तु स्वास्थ्य विभाग में 300 करोड़ रूपये का घोटाला सबसे चैकाने वाला है जिसमें दवाओं की खरीद में भ्रष्टाचार हुआ जिससे दिल्ली के लोगों को शर्मशार होना पड़ा। उन्हांेने उपराज्यपाल श्री अनिल बैजल से दवायें और एम्बुलेंस खरीदने के घोटाले की पूरी जांच कराने के आदेश देने का भी अनुरोध किया है।
श्री रविन्द्र गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने आज पुनः जी.एस.टी. पर विचार-विमर्श करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर जनधन की बर्बादी की है जबकि दिल्ली सरकार और विधानसभा ने इस बिल को पहले ही स्वीकार कर लिया था। यह सब नौटंकी व्यापारी वर्ग को गुमराह करने के लिए की जा रही है। दिल्ली भाजपा पहले से ही कुछ वस्तुओं पर जी.एस.टी. दरों में व्यापारियों को हो सकने वाली कुछ समस्याओं पर विचार कर रही है और शीघ्र ही इसे केन्द्र सरकार के समक्ष उठायेगी।
श्री जय प्रकाश ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी जनादेश पर बहुत कुछ कहा करती थी और अब उसकी सरकार के दो वर्ष बीत जाने के बाद दिल्ली के लोगों ने अपने जनादेश में उनकी पार्टी को पूरी तरह से नकार दिया। अब समय आ गया है कि अरविन्द केजरीवाल जनादेश का सम्मान करते हुये अपने पद से इस्तीफा दें।
श्री अभय वर्मा ने कहा कि दिल्ली में कभी ऐसी सरकार नहीं देखी गई जिसके विरूद्ध इतने सारे आरोप लगे हों और भ्रष्टाचार के मामले सामने आये हों और यह आश्चर्य की बात है कि जो आम आदमी पार्टी, सरकार में पारदर्शिता का दावा करती थी, वह सतेन्द्र जैन जैसे दागी मंत्रियों को भी नहीं हटा सकी है। वास्तव में तो मुख्यमंत्री को भी पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
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