डॉ. उदित राज ने किया आरक्षण बचाओ रथ यात्रा का शुभारम्भ
अनुसूचित जाति /जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राज ने आरक्षण बचाओ यात्रा का शुभारम्भ किया | आरक्षण बचाओ यात्रा डॉ. उदित राज के नेतृत्व में दिल्ली के लगभग सभी प्रमुख स्थानों नई दिल्ली, करोल बाग, चांदनी चौक, केशवपुरम, नजफगढ़, दक्षिणी दिल्ली, मयूर विहार और शाहदरा से होते हुए निकाली जाएगी | इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को पदोन्नति व निजी क्षेत्र में आरक्षण, ठेकेदारी प्रथा की समाप्ति, दिल्ली सरकार द्वारा लाखों कर्मचारियों को पक्का कराने, दलित उत्पीडन के खिलाफ एवं दलितों के सशक्तिकरण हेतु उन्हें जागरूक करना और महा रैली में भाग लेने के लिए भी सभी को आमंत्रित किया जा रहा है | इसके अतिरिक्त 28 नवम्बर 2016 को डॉ. उदित राज के नेतृत्व में दिल्ली के रामलीला मैदान में 19वीं वार्षिक महा रैली का आयोजन भी किया जायेगा | जिसमे पूरे देश से दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को इस महा रैली में भाग लेने के लिए आह्वाहन किया है |
परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राजका कहना है कि लगातार आरक्षण को समाप्त किये जाने के प्रयास किये जा रहे है | जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं होना चाहिए, यदि दलितों और वंचितों से उनका एक मात्र आरक्षण का अधिकार भी छीन लिया जायेगा तो उनका विकास कैसे हो पायेगा और वह समय के साथ और पिछड़ते चले जायेंगे | दलितों को पिछड़ेपन और गुलामी में जकड़े हुए हजारों वर्ष हो चुके है | आज हम आजाद भारत के नागरिक जरुर कहलाते है लेकिन जब दलितों की स्थिति की बात आती है तो जस कि तस बनी हुई है | यदि दलितों को अपनी स्थिति बेहतर करनी है तो आरक्षण को बचाने के लिए उन्हें हमारे साथ कदम से कदम मिलाकर साथ चलना होगा | आज बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर हमारे साथ नही है लेकिन उनके विचार आज भी जीवंत है | उन्होंने अपने जीवनकाल में हमारे लिए बहुत कुछ किया है लेकिन उसके बाद फिर दलितों कि स्थिति बदतर होने लगी | आज समय आ गया है कि बाबा साहेब के सपने को पूरा करने के लिए हमे अपने संघर्ष को आन्दोलन के रूप में लड़ना होगा | दलितों के लिए सिर्फ एक ही चुनौती नहीं है कि सिर्फ आरक्षण बचाना है बल्कि निजी क्षेत्र में भी आरक्षण को लागू किया जाये उसके लिए भी अपनी आवाज़ को बुलंद करना होगा | अगर आज निजी क्षेत्र में आरक्षण होता तो सभी क्षेत्रों में इनकी भागेदारी होती | जिन क्षेत्रों में आरक्षण नहीं है, जैसे व्यवसाय, कला एवं संस्कृति, फिल्म-मीडिया, आयात-निर्यात आदि में इनकी भागेदारी नगण्य है | लेकिन यह सब अभी भी किसी सपने से कम नहीं है | यदि दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों को गन्दगी से निकल कर अपने जीवन को बेहतर बनाना है तो उन्हें इस महा रैली में अवश्य ही भाग लेना चाहिए | दलितों को अपने वजूद को दिखाने का इससे बेहतर मौका नहीं मिलेगा |
अनुसूचित जाति/जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ का गठन डॉ. उदित राज ने 1997 में 5 आरक्षण विरोधी आदेशों की वापसी के लिए हुआ और उसके बाद धरना प्रदर्शन व आन्दोलन शुरू हुआ | 11 दिसम्बर 2000 को रामलीला मैदान, दिल्ली की रैली आजाद भारत की सबसे बड़ी रैलियों में से एक थी और सरकार पर दबाव बना जिसकी वजह से 81वाँ, 82वाँ एवं 85वाँ संवैधानिक संशोधन हुए और छिने अधिकार वापिस मिले |
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