हमें कांग्रेस एवं ‘आप’ के मिलन पर कोई आपत्ति नहीं बल्कि हम तो कहेंगे कि ये एक दूसरे के पूरक हैं और बेहतर होगा कि अब दोनों दल विलय कर लें
- दिल्ली भाजपा ने राहुल गांधी एवं अरविन्द केजरीवाल पर ओछी राजनीति करने के आरोप लगाते हुये उनसे 7 सवालों के जवाब मांगे
- देश की जनता, वर्तमान एवं पूर्व सैनिकों पर कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी की ओछी राजनीति को स्वीकार नहीं करते
नई दिल्ली, 4 नवम्बर। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय एवं दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने आज एक पत्रकारवार्ता में कहा कि पूर्व सैनिकों के नाम पर जो घटिया राजनीति कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी द्वारा की जा रही है उसे दिल्ली एवं देश की जनता देख रही है एवं समझ भी रही है। पत्रकार सम्मेलन में मीडिया प्रभारी श्री प्रवीण शंकर कपूर भी उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि देश के वर्तमान एवं पूर्व सभी सैनिक इन दोनों दलों के नेता राहुल गांधी एवं केजरीवाल द्वारा की जा रही ओछी राजनीति को स्वीकार नहीं कर रहे हैं और इसका प्रमाण है कि दोनों नेताओं के इतने भड़काने के बाद भी पूर्व सैनिकों के किसी भी संगठनों ने ऐसा नहीं कहा है कि देश में वन रेंक वन पेंशन लागू नहीं हुआ।
श्री उपाध्याय एवं श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने राजनीतिक सफर कांग्रेस की बी टीम के रूप में किया था पर आज दोनों ओछी राजनीति में एक दूसरे को मात देने में लगे हैं चाहे इसके चलते वह देश के शहीदों का अपमान करें या फिर अन्य दलों को असंसदीय भाषा में सम्बोधित करें क्योंकि इन दोनों दलों की गिद्ध की सी निगाह देश के एक वर्ग विशेष के वोट बैंक पर है। इस देश की जनता ने देखा है जो अरविन्द केजरीवाल आज भाजपा के लिए असंसदीय शब्द बोल रहे हैं उन्होंने कभी चुनाव न लड़ने की और फिर अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि हम कांग्रेस के साथ नहीं मिलेंगे पर मिले। हमें कांग्रेस एवं ‘आप’ के मिलन पर कोई आपत्ति नहीं बल्कि हम तो कहेंगे कि ये एक दूसरे के पूरक हैं और बेहतर होगा कि अब दोनों दल विलय कर लें।
श्री उपाध्याय ने कहा कि हमें आश्चर्य है कि जो लोग सैन्य कार्रवाई के सबूत मांग कर सैनिकों को अपमानित करते हैं वह मात्र पंजाब में राजनीतिक हित साधने के लिए एक पूर्व सैनिक की आत्महत्या पर राजनीति कर रहे हैं।
श्री उपाध्याय ने कहा कि हम कांग्रेस के उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल कुछ सवाल पूछना चाहते हैं:-
- क्या यह सच नहीं कि 1971 की लड़ाई में विजय का श्रेय लेने वाली उनकी दादी श्रीमती इंदिरा गांधी तब तक दी जाने वाली वन रेंक वन पेंशन को 1973 में बंद कर दिया था ?
- क्या यह सच नहीं कि उसके बाद कांग्रेस की विभिन्न सरकारों जिनका रिमोर्ट कन्ट्रोल गांधी परिवार के पास ही रहा है ने कभी भी पूर्व सैनिकों की वन रेंक वन पेंशन की मांग पर कोई काम नहीं किया ?
- क्या श्री राहुल गांधी बतायेंगे कि आज जब वह वन रेंक वन पेंशन के मुद्दे पर भ्रमित करने के लिए राजनीति कर रहे हैं तो क्या उन्हें मालूम था कि हारती हुई मनमोहन सिंह सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दबाव में पूर्व सैनिकों को वन रेंक वन पेंशन देने की आधी-अधूरी स्वीकृति दी थी और जिसके लिए मात्र 550 करोड़ रूपये का प्रावधान किया था ?
क्या श्री राहुल गांधी को यह पता है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने 20,63,763 पूर्व सैनिकों के लिए वन रेंक वन पेंशन योजना लागू की है और उसमें 19,12,520 से अधिक पूर्व सैनिकों को सभी विसंगतियां दूर करके 5507 करोड़़ रूपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है।
- क्या अरविन्द केजरीवाल इस देश की जनता को यह बतायेंगे कि उन्होंने अपनी आंख के सामने मरते किसान श्री गजेन्द्र सिंह को बचाने के लिए क्या प्रयास किया था ?
- क्या अरविन्द केजरीवाल यह बतायेंगे कि आज एक पूर्व सैनिक की दुखद आत्महत्या पर तो वह राजनीति करते हुये उन्हें शहीद कह रहे हैं पर अभी पिछले दिनों उरी या उससे पूर्व अन्य स्थानों पर शहीद हुये सैनिकों की शहादत होने पर उनमें से किसी के भी परिवार से आज तक मिले ?
- क्या अरविन्द केजरीवाल यह जानते हैं कि सूबेदार श्री रामकिशन को पेंशन लगातार मिल रही थी, मामला विसंगति का था जिसके लिए भारत सरकार ने एक कमेटी की स्थापना की हुई है जो सूबेदार जी के जैसे मामलों पर भी विचार कर रही है ?
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि एक पूर्व सैनिक परिवार की सहायता पर भारतीय जनता पार्टी को किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं पर हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से जानना चाहते हैं कि क्या वह आत्महत्या को उचित मानते हैं ? यदि आंदोलनकारियों या पूर्व सैनिकों या सरकारी कर्मचारियों द्वारा संवैधानिक एवं कानूनी रास्ते छोड़ आत्महत्या का रास्ता अपनाने को अरविन्द केजरीवाल उचित समझते हैं तो वह बतायें कि डी.टी.सी. के उस कर्मचारी के लिए दिल्ली सरकार क्या करेगी जिसने लम्बे समय तक अपने लिए मात्र एक डिपो ट्रांसफर मांगा पर गूंगी बहरी केजरीवाल सरकार ने ध्यान नहीं दिया और अंततः उस बीमार गरीब डी.टी.सी. कर्मचारी ने आत्महत्या कर ली। इसी तरह दिल्ली में गेस्ट टीचर दो वर्ष से संघर्षरत हैं कल उनमें से कोई इस प्रकार का कदम उठा ले तो केजरीवाल सरकार क्या करेंगी ?
श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि हम उपराज्यपाल श्री नजीब जंग से मांग करते हैं कि वह दिल्ली सरकार द्वारा शहीदों को दिये जाने वाले एक करोड़ रूपये के मुआवजे को लेकर एक विशेषज्ञ समिति बनायें जो इसके लिए मापदंड तय करे। यह इसलिए आवश्यक हो गया है क्योंकि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल लगातार मुआवजे पर राजनीति करते हैं और उसका राजनीतिक दुरूपयोग करते हैं। कोई भी सरकारी मुआवजा नीति व्यक्ति विशेष के निर्णय पर नहीं छोड़ी जा सकती क्योंकि इसमें राजनीतिक दुरूपयोग एवं अनुचित लाभ की संभावना रहती है। इस मुआवजे को देने वालों की सी.ए.जी. जांच के प्रति जवाबदेह होनी चाहिए।
श्री गुप्ता ने कहा कि यह भी आवश्यक है कि शहीद किसको माना जायेगा इस पर एक सर्वसम्मति एवं कानूनी मान्यता होनी चाहिए। विशेषज्ञ समिति तय करे कि क्या आत्महत्या करने वाले व्यक्ति को शहीद के रूप में कानूनी मान्यता दी जायेगी।
श्री गुप्ता ने कहा कि नई विशेषज्ञ समिति बनाना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि वर्तमान में दिल्ली सरकार के नियम कहते हैं कि दिल्ली में मुआवजा केवल दिल्ली पुलिस, सेना एवं अन्य सुरक्षा बल के उस कर्मचारी को ही दिया जा सकता है जो दिल्ली का मूल निवासी हो और उसकी शहादत दिल्ली या देश में किसी स्थान पर सरकारी ड्यूटी के दौरान हुई हो।
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