कांग्रेस नेतृत्व के आदेश पर कांग्रेस के हजारों कार्यकर्ताओं ने दिल्ली कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री अजय माकन की अगुवाई में मंडी हाउस से संसद तक जनआक्रोश मार्च में भाग लिया
नोटबंदी के गलत व बिना तैयारी के लागू करने के कारण गरीब व मध्यम वर्ग को घंटों-घंटों बैंकों व एटीएम की लाईन में अपना ही पैसा लेने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि कालाधन रखने वाले बड़े लोग अपने घरों में आराम से बैठे हुए है- अजय माकन
दिल्ली कांग्रेस के 2 किलोमीटर लम्बे जन आक्रोश मार्च को 4 किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद पार्लियमेन्ट स्ट्रीट पर रोक दिया।
नई दिल्ली, 28 नवम्बर, 2016- कांग्रेस नेतृत्व के आदेश पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री अजय माकन की अगुवाई में दिल्ली कांग्रेस के द्वारा जन आक्रोश दिवस पर मंडी हाउस से संसद तक कांग्रेस के हजारों कार्यकर्ताओं ने हाथों में थाली-कनस्तर बजाते हुए मार्च निकाला। आज का मार्च नोटबंदी के गलत व बिना तैयारी के लागू करने के खिलाफ निकाला जिसके कारण गरीब व मध्यम वर्ग को घंटों-घंटों बैंकों व एटीएम की लाईन में अपना ही पैसा लेने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आज गरीब, रेहड़ी पटरी वाला, दिहाड़ी मजदूर व छोटे व्यापारी भूखे मरने की कगार पर पहुच गया। अन्य राज्यों से दिल्ली में जीविका कमाने आए लोगों के सामने दो वक्त की रोटी कमाने के लाले पड़ गए है। इन लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। श्री माकन ने कहा कि नोटबंदी की गलत तरीके से की गई कार्यवाही के कारण आज देश में आर्थिक आपातकाल तथा आर्थिक अराजकता का माहौल बन गया है।
संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए श्री अजय माकन ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी के आदेश पर कांग्रेस आज पूरे देश में जन आक्रोश दिवस मना रही है। क्योंकि नोटबंदी की कार्यवाही में एक बहुत बड़ा घोटाला हुआ है जिसके कारण सबसे ज्यादा परेशानी गरीब और ईमानदार लोगों को हो रही है। वहीं दूसरी ओर बड़े-बड़े उद्योगपति अपने घरों में आराम की जिंदगी बिता रहे है।
कांग्रेस कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लेकर ‘‘पैसा हमारा आदेश तुम्हारा, नही चलेगा-नही चलेगा’’, मोदी सरकार की संगठित लूट, अपना पैसा निकालने की नही है छूट’’,मोदी जी की नोटबंदी, अपने पैसे पर क्यों पाबंदी’’ आदि नारे लगा रहे थे। दिल्ली कांग्रेस के 2 किलोमीटर लम्बे जन आक्रोश मार्च को 4 किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद पार्लियमेन्ट स्ट्रीट पर रोक दिया। मार्च में 30 हजार कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद थे। आज के जन आक्रोश मार्च में युवाओं का हजारों की संख्या में उपस्थित होना व नरेन्द्र मोदी के खिलाफ नारे लगाना देखते ही बनता था।
मार्च में प्रदेश अध्यक्ष श्री अजय माकन के अलावा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के दिल्ली प्रभारी पी.सी. चाको मुख्य प्रवक्ता श्रीमती शर्मिष्ठा मुखर्जी, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव मनीष चतरथ और नसीब सिंह, पूर्व सांसद श्री सज्जन कुमार, रमेश कुमार, महाबल मिश्रा और महाबल मिश्रा, श्री ब्रहम यादव, चतर सिंह, महमूद जिया, सेवादल के संगठक दिनेश्वर त्यागी, पूर्व विधायक हरी शंकर गुप्ता, डा0 नरेन्द्र नाथ, निगम में विपक्ष के नेता मुकेश गोयल, फरहाद सूरी और वरयाम कौर मुख्य रुप से मौजूद थी
श्री माकन ने कहा कि नोटबंदी के गलत तरीके से लागू करने के कारण पूरे देश का विकास मानो थम सा गया है। छोटे व्यापारी के काम धंधे चैपट हो चुके है और नकदी की कमी के कारण उनको अपना व्यापार चलाने में कठिनाईयां हो रही है क्योंकि दिहाड़ी मजदूर को रोजाना की दिहाड़ी देनी होती है। श्री माकन ने कहा कि लोगों का महत्वपूर्ण समय बैंकों व एटीएम के बाहर लगने वाली लम्बी-लम्बी लाईनों में बर्बाद हो रहा है और लोगों के दुखों की सीमा उस समय पार हो जाती है जब घंटों लाईन में लगने के बावजूद नम्बर आने पर यह पता लगता है कि बैंक के पास नकदी ही नही है। सरकार की नाकामी के कारण लोगों को अपने जरुरी कार्यों के लिए जो थोड़ा बहुत चाहिए वह नही मिल पा रहा है।
श्री माकन ने कहा कि इंडियन स्टेटिकल इंस्टीट्यूट ने 2015 में एक सर्वेक्षण किया था जिसमें यह बताया गया था कि उस समय 400 करोड़ के जाली नोट प्रचलन में थे जो कि कुल बजट परिव्यय 19.78 लाख करोड़ के केवल 0.025%थी। वापस लिए गए नोटों की छपाई की कीमत तकरीबन 12,000 करोड़ है। 400 करोड़ के जाली नोटों को 12,000 करोड़ की छपाई की लागत को बर्बाद करना कहां की समझदारी है। जबकि नए जारी किए जाने वाले नोटों की छपाई की लागत का अतिरिक्त भार देश पर पड़ेगा।
श्री माकन ने कहा कि 8 नवम्बर 2016 से भारत सरकार ने 500 व 1000 के करेंसी नोटों को खत्म कर दिया। वापस लिए जाने वाले नोटों की कीमत 14.08 लाख करोड़ है जो कि कुल नोटों के प्रचलन का 86.4% है अर्थात 16.4 लाख करोड़ रुपये के कुल नोट सरकुलेशन में हैं। नकदी लेने की कड़ी सीमा, बैंकों व काम न करने वाले ए.टी.एम. के सामने घंटों की लम्बी-लम्बी कतारे यह दर्शाती है कि किस प्रकार सरकार ने बिना तैयारी के यह फैंसला लागू किया तथा इसको लागू करने से पहले इसके वर्तमान के और दूरगामी परिणामों पर सरकार की अदूरदर्शिता साफ दिखाई देती है, जबकि इस योजना के पीछे कुछ छिपे हुए इरादे भी नजर आते है।
श्री माकन ने उपलब्ध आंकड़ों का ब्यौरा देते हुए कहा कि नोटबंदी के फैंसले के कारण 86 प्रतिशत करेंसी जो सरकुलेशन में थी वो निकाली जा चुकी है। जिसके परिणामस्वरुप 500 रुपये के 1658 करोड़ नोट तथा 1000 रुपये के 668 करोड़ वापस हो चुके है। 1000 के नोट भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राईवेट लिमिटेड के द्वारा छापे जाते है। जिसकी क्षमता 2 शिफटों में कार्य करके 133 करोड़ रुपये के नोट प्रति महीना छापने की है। यदि इस कम्पनी को 3 शिफटों में भी काम करने पड़े तो यह केवल 200 करोड़ रुपये के 1000 के नोट प्रति महीना छाप सकती है। यदि इस सरकारी कम्पनी को 2000 हजार के नए नोट जो कि 668 करोड़ रुपये के 1000 के नोटों के बराबर की करेंसी छापनी पड़े तो यह कार्य साढ़े तीन महीनों में हो पायेगा। 500 रुपये के नोट सिक्योरिटी प्रिटिंग तथा मिंटिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के द्वारा छापे जाते है, जिसकी क्षमता 100 करोड़ के नोट प्रति महीना छापने की है। यदि इस कम्पनी की नोट छापने की क्षमता रातों रात दुगनी कर दी जाए तो 500रुपये के 1658 करोड़ रुपये के नोट छापने के लिए 8 महीने या उससे ज्यादा लगेंगे। उन्होंने कहा कि बैंकों के पास नकदी नहीं है तथा एटीएम मशीनों में नोट नही है।125 करोड़ की आबादी वाले देश में केवल 2 लाख एटीएम है। जिसमें से बहुत सारे खराब पड़े रहते है।
श्री माकन ने कांग्रेस पार्टी की गरीबों के प्रति विचारधारा व मोदी की बड़े कॉर्पोरेट घरानों के प्रति विचारधारा की तुलना करते हुए कहा कि श्रीमती इंदिरा गांधी के बैंकों राष्ट्रीयकरण के ऐतिहासिक फैंसले के कारण करोड़ों गरीब लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए उनको सुरक्षा दी गई थी क्योंकि पहले कुछ प्राईवेट बैंकों के बंद होने के कारण गरीब लोगों की जिदंगी भर की कमाई डूब गई थी। नोटबंदी के फैंसले को गरीबों पर शक की निगाह से लागू करने के कारण श्री नरेन्द्र मोदी ने उसके उलट किया है क्यांेकि उसके फैंसले से करोड़ों लोगों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है तथा आम लोगों व मध्यम वर्ग को अपनी जीविका चलाने में कठिनाई हो रही है। मोदी ने एक ही फैंसले के द्वारा इन लोगों की जिदंगी भर की पूंजी खत्म कर दी है।
श्री माकन ने नोटबंदी के गलत तरीके से लागू करने के बाद अनौपचारिक क्षेत्र में होने वाले नुकसान का ब्यौरा देते हुए कहा कि नोटबंदी अनौपचारिक क्षेत्र को बहुत मात्रा में प्रभावित करने वाली है। क्योंकि यह क्षेत्र भारत की जी.डी.पी. का 40% है, जहां पर 80 प्रतिशत लोगों को रोजगार दिया जाता है। अनौपचारिक क्षेत्र आधारभूत स्तर पर नकदी के लेनदेन पर चलता है। जिसके कारण समाज के गरीब तबके जैसे दैनिक वेतन भौगी, रेहड़ी पटरी वाले तथा कृषि क्षेत्र के मजदूरो इत्यादि को सबसे ज्यादा आहत करेगा। इसके कारण ग्रामीण-शहरी प्रवास पर भी प्रभाव पड़ेगा। जो लोग शहरों में काम की तलाश में आते है उनको सबसे ज्यादा अनौपचारिक क्षेत्र में ही रोजगार मिलते है। 2015-2016 में केवल 1.35 लाख रोजगार पैदा हुए जो कि पिछले सात वर्षो में सबसे कम है अर्थात लोगों के लिए रोजगार के अवसर कम हुए है। बेरोजगारी का बड़ा संकट मंडरा रहा है।
श्री माकन ने भा.ज.पा. को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि नोटबंदी के पीछे बहुत बड़ा घोटाला है क्योंकि ऐसा लगता है कि भा.ज.पा. ने पहले ही इस निर्णय की जानकारी दे दी थी क्योंकि भाजपा के नेताआंे ने बिहार में नोटबंदी से पहले ही जमीन खरीदी थी तथा पश्चिम बंगाल की भाजपा यूनिट ने बैंकों में पैसे जमा कराऐ थे। श्री माकन ने कहा कि क्या मोदी जी भाजपा की राज्य यूनिटों तथा केन्द्रीय भाजपा के खातों को सार्वजनिक करने का साहस करेंगे कि नोटबंदी से पहले उन खातों में कितना पैसा जमा कराया गया था।
श्री माकन ने कहा कि बेरोजगारी व नकदी की कमी के कारण गरीब व मजदूर लोग दिल्ली छोड़ने को मजबूर हो गए है। श्री माकन ने कहा कि श्री मोदी का ‘‘कैशलेश सोसायटी’’ का आईडिया दिन में सपने लेने के समान है क्योंकि इस आईडिये को समस्त भारत में सभी लोगों पर वर्तमान परिस्थितियों में लागू नही किया जा सकता। श्री माकन ने कहा कि नोटबंदी की गलत तरीके से की गई कार्यवाही के द्वारा स्वतंत्र भारत में हुआ सबसे बड़ा घोटाला है।
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