केजरीवाल सरकार ने केन्द्र द्वारा उपलब्ध साधनों को रोक दिल्ली की जनता के साथ किया विश्वासघात
ऐसा लगता है कि अरविन्द केजरीवाल को केवल वे ही संस्था स्वतंत्र लगती है जो उनकी अराजक बातों का समर्थन करे और वही चुनाव स्वतंत्र होता है जिसमें उनको विजय मिले-डाॅ. उदित राज
केन्द्र सरकार दिल्ली के विकास के लिए पैसा देती रही और केजरीवाल दिल्ली की जनता को उसके लाभ से वंचित करते रहे-कुलजीत सिंह चहल
केजरीवाल सरकार की कोताही से मेट्रो रेल के चैथे चरण का विस्तार दो वर्ष से अधिक पिछड़ा
केन्द्र द्वारा फंड आबंटित स्वच्छ भारत मिशन, दिल्ली की सड़कों के बेहतरीकरण, अम्रृत जल एवं सीवरेज कार्य में भी केजरीवाल सरकार ने किया दिल्ली की जनता से छल
नई दिल्ली, 10 अप्रैल। सांसद डाॅ. उदित राज, प्रदेश भाजपा के महामंत्री श्री कुलजीत सिंह चहल एवं श्री राजेश भाटिया और उपाध्यक्ष श्री राजीव बब्बर ने आज एक पत्रकारवार्ता में कहा कि अरविन्द केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की जनता को न सिर्फ अपने चुनावी वायदों पर धोखा दिया है बल्कि दिल्ली को केन्द्र से मिलने वाली योजनाओं को बाधित कर विकास की गति को रोका है। उन्होंने कहा कि यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि केन्द्र सरकार दिल्ली के विकास के लिए पैसा देती रही और केजरीवाल दिल्ली की जनता को उसके लाभ से वंचित करते रहे।
इसी के साथ डाॅ. उदित राज ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल ने आज पुनः चुनाव आयोग की निष्पक्षता एवं ई.वी.एम. में गड़बड़ी की बात की है जोकि उनके अराजक स्वाभाव एवं संवैधानिक संस्थाओं के प्रति असम्मान को पुनः स्थापित करता है। डाॅ. उदित राज ने कहा कि भारतीय चुनाव आयोग अपनी निष्पक्षता के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है, अनेक देशों में इसके अधिकारियों की मदद चुनाव कराने में ली जाती है। इसी तरह ई.वी.एम. मशीनें समय-समय पर न्यायिक जांच से गुजरी हैं, इन्ही ई.वी.एम. मशीन ने अरविन्द केजरीवाल को 2013 एवं 2015 में सत्ता सौंपी और इसी के सहारे अभी हाल में वह पंजाब में दूसरी बड़ी पार्टी के रूप में उभरे। ऐसा लगता है कि अरविन्द केजरीवाल को केवल वे ही संस्थायें स्वतंत्र लगती हंै जो उनकी अराजक बातों का समर्थन करे और वही चुनाव स्वतंत्र होता है जिसमें उनको विजय मिले। दिल्ली की जनता को लगता है कि निगम चुनाव में हार का भय चुनाव आयोग एवं ई.वी.एम. के विरूद्ध अभियान के पीछे हैं।
डाॅ. उदित राज एवं श्री कुलजीत सिंह चहल ने कहा कि यूं तो केन्द्र सरकार ने गत 3 वर्ष में अनेक जनहितकारी योजनायें दिल्ली की जनता के लिए दी हैं पर आज हम मीडिया के माध्यम से चार प्रमुख योजनाओं का जिक्र रखना चाहते हैं जिनके अनुपालन में केजरीवाल सरकार के विलम्ब के कारण जहां दिल्ली की जनता को सुविधाओं से वंचित रहना पड़ा है वहीं दिल्ली में इन्फ्रा स्ट्रक्चर के विकास में भी बाधा आई है। यह सभी योजनायें वह है जिनके लिए केन्द्र सरकार ने बड़ा आर्थिक सहयोग भी दिया। ऐसी प्रमुख योजनायें हैं स्वच्छ भारत मिशन, अम्रृत जल योजना, सड़क परिवहन इन्फ्रा स्ट्रक्चर विकास योजना और दिल्ली मेट्रो के चैथे चरण के विस्तार की योजना।
डाॅ. उदित राज ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत केन्द्र सरकार ने दिल्ली में शौचालयों के निर्माण के लिए 29.97 करोड़ रूपये जारी किये। इस योजना के अंतर्गत दिल्ली सरकार को 11,128 शौचालयों के निर्माण के आवेदन मिले पर आज तक दिल्ली में केवल 22 शौचालयों के निर्माण का कार्य प्रारम्भ हुआ है। इसका मूल कारण है कि दिल्ली सरकार योजना में अपने हिस्से का पैसा देने से बच रही है। जहां पोन्डीचेरी एवं छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में राज्य सरकार 16 एवं 13 हजार प्रति शौचल की दर से भुगतान करते हैं वहीं केजरीवाल सरकार मात्र 1333 रूपये के हिसाब से भुगतान करना चाहती है।
इसी तरह सोलिड बेस्ट प्रबंधन के लिए केन्द्र ने दिल्ली के लिए 63.11 करोड़ रूपये जारी किये हैं और 200 करोड़ रूपये की निधि लंबित है। केजरीवाल सरकार ने आज तक इस पैसे का उपयोग नहीं किय है जिसका प्रमाण है कि गत 31 मार्च तक दिल्ली सरकार ने इस मद के एक भी रूपये का उपयोग सार्टिफिकेट केन्द्र सरकार में वापस जमा नहीं किया है।
श्री कुलजीत सिंह चहल ने कहा है कि दिल्ली में पीने के पानी की बड़ी समस्या है पर केजरीवाल सरकार ने इस पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई है। केन्द्र सरकार ने अम्रृत जल योजना के अंतर्गत सोनिया विहार, करावल नगर, राजीव नगर एवं श्रीराम कालोनी, बुद्ध विहार, रिठाला, भलस्वा, रोहिणी, ओखला, राजघाट से ग्रेटर कैलाश, पल्ला और शाहदरा क्षेत्रों के लिए नई पानी एवं सीवर लाइने डालने, पुरानी लाइनों के नवीकरण करने, फीडर लाइनें डालने, स्कूलों एवं समुदाय भवनों के शौचालयों के पुनर्विकास से लेकर नये जिला उद्यान विकसित करने के लिए 900 करोड़ रूपये की योजनायें 2016-17 में दी हैं पर दिल्ली सरकार ने उन पर कोई कार्य प्रारम्भ नहीं किया है। यह सब केवल राजनीतिक द्वेष के कारण हैं क्योंकि केजरीवाल सरकार नहीं चाहती कि केन्द्र को योजनाओं का श्रेय मिले।
श्री चहल ने कहा कि दिल्ली मेट्रो आज दिल्ली का प्राण है और श्री मदन लाल खुराना सरकार की लाई इस योजना को तत्कालीन कांग्रेस सरकारों ने भी मजबूत किया पर यह अत्यंत दुखद है कि अरविन्द केजरीवाल सरकार ने इसमें भी दिल्ली की जनता के साथ विश्वासघात किया है। दिल्ली मेट्रो प्रशासन ने मेट्रो के चैथे चरण के विस्तार की योजना 7 अक्टूबर, 2014 को दिल्ली सरकार को सौंपी जिसकी स्वीकृति फरवरी, 2015 में बनी केजरीवाल सरकार को अपनी पहली केबिनेट बैठक में दे देनी चाहिये थी पर सरकार ने उसे 21 जून, 2016 तक रोका। जून, 2016 में जो स्वीकृति दी भी गई वह कानूनी रूप से गलत थी क्योंकि उसमें वित्तीय संसाधनों की स्वीकृति नहीं दी गई। दबाव के बाद दिल्ली सरकार ने 12 जनवरी, 2017 को दी वह भी अधूरी। इस स्वीकृति में भी 50 प्रतिशत पैसा देने की बात कही गई। केजरीवाल सरकार की इस कोताही के कारण दिल्ली मेट्रो के विस्तार के चैथा चरण का काम दो वर्ष पीछे हो गया। ऐरो सिटी से तुगलकाबाद, लाजपत नगर से साकेत, इन्द्रलोक से इन्द्रप्रस्थ, जनकपुरी से आर के आश्रम, मुकुन्दपुर से मौजपुर एवं रिठाला से बवाना-नरेला के बीच चलने वाले इन रूटों के पूर्ण होने पर दिल्ली को लगभग 103.93 किलो मीटर अतिरिक्ति मेट्रो नेटवर्क मिलना है जिसे केजरीवाल सरकार ने विलम्बित किया है।
श्री चहल ने कहा कि इसी तरह दिल्ली सरकार 188 करोड़ के महिपालपुर में फ्लाईओवर अंडरपास का काम, 437 करोड़ का नरेला फ्लाई ओवर-आर.ओ.बी. का कार्य के अलावा आई.एस.बी.टी. कश्मीरी गेट पर 18.68 करोड़ का विकास कार्य को लंबित कर रही है। दिल्ली सरकार को सभी पैसा केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराये जाने के बावजूद यह कार्य लंबित रखना दिल्ली की जनता के साथ एक गंभीर विश्वासघात है।
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