ईडीएमसी का रिपोर्टकार्ड एक खोखला दस्तावेज़, वास्तविकता से कोसों दूर
दिल्ली नगर-निगम में बीजेपी के 10 साल के निक्कमेपन के बावजूद रिपोर्टकार्ड जारी करना साहस की बात
भारतीय जनता पार्टी शासित ईडीएमसी ने हाल ही में अपना रिपोर्टकार्ड जारी किया है, यह बड़े हिम्मत की बात है कि दस साल के निक्कमेपन के बाद भी भाजपा शासित ईडीएमसी अपना रिपोर्टकार्ड जारी करने का साहस पैदा कर सकी। हक़ीकत यह है कि भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली नगर-निगम को पिछले दस साल में भ्रष्टाचार का अड्डा और दिल्ली को कचरे का डब्बा बना दिया है। कुछ आंकड़ों के साथ आदमी पार्टी ईडीएमसी के समक्ष कुछ सवाल रख रही है ताकि ईडीएमसी के इस खोखले रिपोर्टकार्ड की वास्तविकता जनता के सामने आ सके।
प्रेस कॉंफ्रेंस में पत्रकारों से बात करते हुए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और दिल्ली संयोजक दिलीप पांडे ने कहा कि 'यह बड़े हिम्मत की बात है कि ईडीएमसी ने रिपोर्टकार्ड जारी करने की हिम्मत दिखाई है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने एमसीडी में ऐसा कोई कार्य नहीं किया है जिसके दम पर वो कह सकें कि हम जनता के लिए रिपोर्टकार्ड जारी कर रहे हैं, किसी भी सरकार के लिए उसका सबसे बड़ा रिपोर्टकार्ड जनता की संतुष्टि होती है , जनता खुश है तो सब ठीक है लेकिन यहां एमसीडी में तो बीजेपी के काम से कोई भी खुश नहीं हैं। पिछले साल नवम्बर में दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी को उसके निक्कमेपन की वजह से बुरी तरह लताड़ा। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में एमसीडी में भारतीय जनता पार्टी के निक्कमेपन की पोल खोल कर रख दी थी और बीजेपी की एमसीडी को मलेरिया-चिकनगुनिया-डेंगू का पर्याय तक बता दिया था। लेकिन बावजूद इसके बीजेपी जनता को बरगला रही है लेकिन सच यह है कि उनके पास बताने के लिए कुछ भी नहीं है।'
प्रेस कॉंफ्रेंस में पत्रकारों से बात करते हुए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और दिल्ली संयोजक दिलीप पांडे ने कहा कि 'यह बड़े हिम्मत की बात है कि ईडीएमसी ने रिपोर्टकार्ड जारी करने की हिम्मत दिखाई है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने एमसीडी में ऐसा कोई कार्य नहीं किया है जिसके दम पर वो कह सकें कि हम जनता के लिए रिपोर्टकार्ड जारी कर रहे हैं, किसी भी सरकार के लिए उसका सबसे बड़ा रिपोर्टकार्ड जनता की संतुष्टि होती है , जनता खुश है तो सब ठीक है लेकिन यहां एमसीडी में तो बीजेपी के काम से कोई भी खुश नहीं हैं। पिछले साल नवम्बर में दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी को उसके निक्कमेपन की वजह से बुरी तरह लताड़ा। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में एमसीडी में भारतीय जनता पार्टी के निक्कमेपन की पोल खोल कर रख दी थी और बीजेपी की एमसीडी को मलेरिया-चिकनगुनिया-डेंगू का पर्याय तक बता दिया था। लेकिन बावजूद इसके बीजेपी जनता को बरगला रही है लेकिन सच यह है कि उनके पास बताने के लिए कुछ भी नहीं है।'
पूर्व दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) ने हाल ही में अपना रिपोर्ट कार्ड जारी किया है, जो पिछले 5 वर्षों में ईडीएमसी द्वारा किए गए सभी कार्य और योजनाओं का प्रदर्शन करने की एक कोशिश भर है। लेकिन अपनी उपलब्धियों का गुणगान करने से पहले ईडीएमसी को कुछ मूलभूत सवालों का जवाब देना होगा ताकि उनके रिपोर्ट कार्ड की वास्तविकता और उसका खोखलापन सामने आ सके। ईडीएमसी में भारतीय जनता पार्टी के निक्कमेपन के कुछ आंकड़े आप देखिए-
1. ईडीएमसी में बड़े पैमाने पर वित्तीय गैरव्यवस्थापन
(2015-16) आंतरिक राजस्व = रु.768 करोड़
(2015-16) दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) से अनुदान-सहायता = रु. 466 करोड़
(2015-16) कुल राजस्व प्राप्तियां (आंतरिक राजस्व + जीएनसीटीडी से अनुदान सहायता) = रु.1234 करोड़
(2015-16) कुल व्यय = रु.1414 करोड़
(2015-16) शुद्ध घाटा = रु. -180.45 करोड़
(2015-16) दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) द्वारा दिए गए अतिरिक्त ऋण = रु. 237 करोड़
(2015-16) दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) से अनुदान-सहायता = रु. 466 करोड़
(2015-16) कुल राजस्व प्राप्तियां (आंतरिक राजस्व + जीएनसीटीडी से अनुदान सहायता) = रु.1234 करोड़
(2015-16) कुल व्यय = रु.1414 करोड़
(2015-16) शुद्ध घाटा = रु. -180.45 करोड़
(2015-16) दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) द्वारा दिए गए अतिरिक्त ऋण = रु. 237 करोड़
2. ईडीएमसी की खराब स्वास्थ्य सेवा
-जीएनसीटीडी के तहत दिल्ली राज्य स्वास्थ्य मिशन ने साल 2012-13 में ईडीएमसी के अधिकार क्षेत्र के स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए 10 करोड़ रुपए दिए गए, हालांकि इस फंड को बिना उपयोग में लाए साल दर साल खातों में जोड़कर आगे ले जाया जा रहा है।
-ईडीएमसी ने इस परियोजना के लिए दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) से अतिरिक्त धन के लिए अनुरोध किया है।
-ईडीएमसी के पास खिचड़ीपुर में विशाल भूमि है, जिसका इस्तेमाल स्वास्थ्य सेवाओं के विकास के लिए किया जा सकता है। लेकिन बीजेपी के लिए यहां मॉल बनाना ज़्यादा जरूरी लगता है।
-ईएमसीडी ने इस स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए ऐसे किसी भी प्रस्ताव को कभी अवधारित ही नहीं किया है।
-ईएमसीडी ने प्रसूति गृहों की कोई रेफ़रल यूनिट्स ही विकसित नहीं की हैं, और मातृ एवं बाल स्वास्थ्य सेवाओं की पूरी श्रृंखला नहीं दे पाई है।
-उदाहरण: करावल नगर में सावरकर संस्थान दरअसल 200 बिस्तर का संस्थान है, लेकिन अभी तक केवल 40 बिस्तरों की सेवाएं दे पाने में सक्षम है।
3. नगरपालिका का बेहद ही ख़राब 'ठोस अपशिष्ट (एमएसडब्ल्यू) प्रबंधन'
-गाजीपुर लैंडफिल
1984 में कमिशन हुआ
70 एकड़ के क्षेत्र में फैला
यह 2200 मीट्रिक टन ठोस अपशिष्ट प्रति दिन प्राप्त करता है
ठोस कचरे की ऊँचाई जमीन के स्तर से 50 मीटर तक पहुंच गई है जबकि डीपीसीसी ने लैंडफिल की ऊंचाई 20-25 मीटर तक ही निर्धारित की थी।
1984 में कमिशन हुआ
70 एकड़ के क्षेत्र में फैला
यह 2200 मीट्रिक टन ठोस अपशिष्ट प्रति दिन प्राप्त करता है
ठोस कचरे की ऊँचाई जमीन के स्तर से 50 मीटर तक पहुंच गई है जबकि डीपीसीसी ने लैंडफिल की ऊंचाई 20-25 मीटर तक ही निर्धारित की थी।
-शास्त्री पार्क सी एंड डी प्लांट:
यह 2016 में कमिशन हुआ
शास्त्री पार्क प्लांट 2.5 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत
मैसर्स आईएल एंड एफ़एस द्वारा प्रबंधित (बोल्ट समझौते के तहत एक निजी ठेकेदार) को दिया गया। सी एंड डी प्लांट में कचरे के प्रोसेसिंग की क्षमता प्रति दिन 500 मीट्रिक टन है
जबकि इसकी डीपीसीसी से कोई मंजूरी नहीं मिली है। अब तक शुरू ही नहीं हो पाया है और कोई जवाबदेही के लिए सामने तक नहीं आ रहा है।
यह 2016 में कमिशन हुआ
शास्त्री पार्क प्लांट 2.5 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत
मैसर्स आईएल एंड एफ़एस द्वारा प्रबंधित (बोल्ट समझौते के तहत एक निजी ठेकेदार) को दिया गया। सी एंड डी प्लांट में कचरे के प्रोसेसिंग की क्षमता प्रति दिन 500 मीट्रिक टन है
जबकि इसकी डीपीसीसी से कोई मंजूरी नहीं मिली है। अब तक शुरू ही नहीं हो पाया है और कोई जवाबदेही के लिए सामने तक नहीं आ रहा है।
4. हमारे बच्चों की शिक्षा पर खर्च में बीजेपी शासित MCD का बेहद ही ख़राब प्रदर्शन रहा है।
शिक्षा के क्षेत्र आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार बीजेपी शासित एनडीएमसी, ईडीएमसी और एसडीएमसी की तुलना में प्रत्येक बच्चे पर अधिक धन खर्च करती है!
ईडीएमसी: रु. 19,100 प्रति छात्र
एनडीएमसी: रु. 23,350 प्रति छात्र
एसडीएमसी: रु. 13,800 प्रति छात्र
जीएनसीटीडी: रु. 62,800 प्रति छात्र
ईडीएमसी: रु. 19,100 प्रति छात्र
एनडीएमसी: रु. 23,350 प्रति छात्र
एसडीएमसी: रु. 13,800 प्रति छात्र
जीएनसीटीडी: रु. 62,800 प्रति छात्र
'यह आंकड़े साबित करते हैं कि ईडीएमसी में भारतीय जनता पार्टी ने सिवाए निक्कमेपन के कुछ नहीं दिखाया है। और ना केवल ईडीएमसी में बल्कि दक्षिणी और उत्तर नगर-निगम में भी कमोबेश यही हाल रहा है।
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