‘‘केजरीवाल सरकार के 2 वर्ष के शासन काल में आम आदमी के हाथ हर कदम पर निराशा ही निराशा
दिल्ली सरकार का रिपोर्ट कार्ड: 10 नंबरों में से एक नंबर भी देना मुश्किल
परिणाम: सरकार हर मोर्चे पर विफल ’’
ऽ मोहल्ला सभाएं अभी तक नहीं । जनता की भागीदारी नहीं सुनिश्चित
ऽ 500 स्कूलों में से एक भी नया स्कूल नहीं
ऽ 29623 अध्यापकों के रिक्त पदों में से एक भी नियमित भर्ती नहीं
ऽ 1 लाख बच्चे 9वीं कक्षा में फेल
ऽ 20 नये डिग्री कॉलेज में से एक की भी नींव नहीं
ऽ 3 नये आई.टी.आई. पांच नये पोलिटेकनिक खोलने की शुरूआत तक नहीं
ऽ यूनिफाईड ट्रांसपोर्ट अर्थोरिटी की स्थापना नहीं
ऽ नई बसें, नये बस शेल्टर, नये आई.एस.बी.टी. नहीं
ऽ महिलाओं की सुरक्षा निश्चित नहीं
ऽ 1000 में से 108 आम आदमी क्लीनिक डिस्पेंसरियों की कीमत पर खोले गये
ऽ 900 प्राईमरी हैल्थ सेंटर में से एक भी नहीं खुला
ऽ अस्पतालों में 30000 अतिरिक्त बिस्तरों की व्यवस्था के वादे के बावजूद भी एक भी अतिरिक्त बिस्तर नहीं बढ़ा
ऽ सुपरस्पेशिलिटी अस्पतालों में अपग्रेडेट सेवाएं नहीं
ऽ 60 करोड़ के आबंटन के बावजूद आम आदमी कैंटीन का पता नहीं
ऽ 2 लाख पब्लिक ट्वाईलेट का काम तक शुरू नहीं
ऽ सरकार में 50 हजार रिक्त पद भरने और हजारों अनुबंध /अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने का वादा हवा में
ंः- विजेन्द्र गुप्ताः-
क्ेजरीवाल सरकार के दो वर्ष का शासन पूरा पर आम आदमी के हाथ हर कदम पर निराशा ही निराशा लगी है और उसका मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल तथा आम आदमी पार्टी से मोह भंग हो गया है । वह आश्चर्यचकित है कि जिस पार्टी को उसने ऐतिहासिक निर्णय देते हुए 67 सीटें सौंपी थी, उसने दिल्ली को तेजी से विकास के मार्ग पर ले जाने की वजाय अवनति के पथ पर क्यों धकेल दिया है । जो सरकार एक ईमानदार जवाबदेह और उत्तरदायी शासन में लोगों की भागीदारी के वादे कर सत्ता में आयी थी, वह मोहल्ला सभा स्थापित करने जैसा महत्वपूर्ण काम भी नहीं कर पाई । शेष बड़े वादों को पूरा करने की बात तो आम जनता के लिए शेख चिल्ली का सपना बनकर रह गई ।
विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने आज विधान सभा में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आज जब केजरीवाल सरकार का 40 प्रतिशत कार्यकाल पूरा हो गया है तो हम सरकार के इस दौरान किये गये कार्यों की समीक्षा करने पर ज्ञात होता है कि दिल्लीवासियों की इन्द्रधनुषीय आकांक्षाओं को जगाने वाली आम आदमी पार्टी अपने मन लुभाने वाले चुनावी वादों का 10 प्रतिशत भी पूरा नहीं कर पाई है । यदि हम दिल्ली सरकार को उपलब्धियों के आंकड़े पर नंबर दें तो उसे 10 नंबरों में 1 नंबर देना भी मुश्किल होगा । इस कारण आज आम आदमी अपने आप को आशाओं से नहीं अपितु निराशाओं से धिरा पाता है । संवाददाता सम्मेलन मंे भाजपा विधायक ओम प्रकाश शर्मा तथा जगदीश प्रधान भी उपस्थित थे ।
सरकार गर्व करती थी कि आम आदमी पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र सरकार के मंत्रियों के पास मोबाईल फोन में मौजूद रहता है और लगातार उन्हें अपने वादों की याद दिलाता है । परंतु, आज हम मंत्रियों के क्रिया कलापों पर निगाह डालें तो हमारे हाथ निराशा ही लगती है । मुख्यमंत्री स्वयं अपने साढ़ू के भ्रष्टाचार पर ही लगाम नहीं लगा पाये । उप-मुख्यमंत्री स्वयं विवादों में धिरे हैं । छः में से तीन मंत्रियों को फर्जीवाड़े, भ्रष्टाचार तथा यौणाचार के आरोपों में लिप्त होने के कारण सरकार से बाहर का दरवाजा दिखाया जा चुका है । चौथे मंत्री भी अभी हवाला के मामलें में फंसे हुए हैं । अनेक विधायकों के विरूद्ध अपराधिक मामले चल रहे हैं । कुछ विधायक बागी हो चुके हैं । परंतु, पार्टी में उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने का साहस नहीं है ।
मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री तथा मंत्रियों के पास आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पैतरेबाजी के चलते दिल्ली के लिए समय ही नहीं हैं । विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि गत दो वर्ष की सत्ता के दौरान प्रधानमंत्री और केन्द्र को हर बात में कोसना मुख्यमंत्री की प्रिय हॉंबी रही है । अतः आश्चर्य नहीं है कि इस अवधि में दिल्ली विकास के चढ़ाव पर नहीं अपितु अवनति के मार्ग पर अग्रसर रहा है ।
विपक्ष के नेता ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वे संक्षेप में सरकार की वादाखिलाफी, अकर्मण्यता, असफलताओं का जिक्र करना चाहेंगे, जिससे की पता लग सके कि सरकार दो वर्ष के दौरान अपने चुनावी और बजटीय वादों को किस हद तक पूरा कर सकी है ।
1. 500 नये स्कूल खोलने का लक्ष्य, सरकार के खाते में अब तक एक भी नया स्कूल नहीं:- आम आदमी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र 2015 में 500 नये सेैकेण्डरी और सी0 सैकेण्डरी सरकारी स्कूल खोलने का वादा किया था ताकि हर बच्चे के लिए बेहतर क्वालिटी की शिक्षा सुनिश्चित की जा सके । औसतन 2 वर्षों के कार्यकाल में सरकार ने 200 नये स्कूल स्थापित कर देने चाहिए थे । परंतु, सरकार एक भी नया स्कूल स्थापित करने में नाकाम रही है । वर्तमान सरकार के कार्यकाल में केवल एक नये स्कूल की बिल्डिंग खिचड़ीपुर में बनाई गयी, जिसकी शुरूआत पिछली सरकार ने की थी ।
2. अध्यापकों के 30000 रिक्त पद भरे नहीं गये:- जब सरकार सत्ता में आई थी तब उसने 20000 नियमित शिक्षकों के भर्ती करने का वादा किया था । इसके उपरांत गत वर्ष 18 जनवरी को अध्यापकों के 9623 पद नये पद सृजित किये गये । इस प्रकार 30000 अध्यापक भर्ती किये जाने हैं परंतु दो वर्ष बीत जाने पर अब तक भर्ती तो दूर सरकार ने विज्ञापन निकाल कर पद भरने की प्रक्रिया प्रारंभ भी नहीं की है ।
3. 112 करोड़ रू0 के आवंटन के वाबजूद भी एक भी प्रधानाचार्य अथवा शिक्षक को विदेशों में ट्रेनिंग हवा-हवाई:- सरकार ने वादा किया था कि वह प्रधानाचार्यों व शिक्षकों को प्रोफेशनल डवलपमेंट ट्रेनिंग के लिए हार्डवर्ड, कैम्ब्रिज तथा आक्सफोर्ड जैसे विश्व के सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों में ट्रेनिंग के उद्देश्य से भेजेंगी । इसके लिए सरकार इस वर्ष आवंटित 102 करोड़ रू0 तथा गत वर्ष आवंटित 9.4 करोड़ रू0 का बड़ा बजटीय प्रावधान रखा था । यह योजना हवा-हवाई साबित हुई क्योंकि इसका कोई विशेष लाभ बच्चों तक नहीं पहुंचा ।
4. शिक्षा पर बजट दोगुना करने पर भी 9वीं कक्षा में 1 लाख से भी अधिक बच्चे फेल: सरकारी स्कूलों में तेजी से सुधार के दावे खोखलेः- सरकार ने छात्रों के उज्जवल भविष्य सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा का बजट दोगुना कर दिया । इसके बावजूद भी सरकारी आंकड़ों के अनुसार ही इस वर्ष नवीं कक्षा में एक लाख से अधिक बच्चे फेल हो गये । एक सर्वे के अनुसार छठी कक्षा में पढ़ने वाले छात्र अपना नाम तक लिखने में असमर्थ है । सरकार ने सत्त में आने के बाद तुरंत ही 50 स्कूलों को मॉडल स्कूल तथा सभी स्कूलों को मॉडल स्कूल बनाने का वादा किया था । सरकारी स्कूलों में सभी क्लासरूमों में सीसीटीव कैमरे लगाने का भी वादा किया गया था । 10$2 परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद प्रत्येक विद्यार्थी को सामान्य तथा कौशल शिक्षा के दो अलग-अलग प्रमाण पत्र देने का वादा किया गया था । ये सब वादे स्वप्न्न बन कर रह गये ।
5. 20 नये डिग्री कॉलेज में से एक भी कॉलेज की नीव तक नहींः- आम आदमी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में बाहरी दिल्ली में ग्रामीणों की पार्टनरशिप से 20 नये कॉलेज खोलने का वादा किया था । परंतु, आज तक एक भी कॉलेज की नीव तक नहीं डाली गयी । सरकार तीन नये आई.टी.आई. और पांच नये पोलिटेकनिक संस्थान खोलने के वादे को भी भूल गयी । अम्बेडकर विश्वविद्यालय तथा दिल्ली सरकार के कॉलेजों में सीटों को बढ़ाकर डबल कराने का लक्ष्य रखा गया था । इस दिशा में कोई काम नहीं किया गया है । न तो नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी संस्थान को विश्वविद्यालय बनाया गया और न विद्यार्थियों की संख्या 3000 से बढ़ाकर 12000 की गई ।
6. यूनिफाईड ट्रांसपोर्ट अथोरिटी की स्थापना नहींः- आम आदमी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में मेट्रो, बसें, ऑटो-रिक्शा, ई-रिक्शा तथा अन्य सार्वजनिक वाहनों को सम्मिलित करते हुए एक समन्वित यूनिफाईड ट्रांसपोर्ट अथोरिटी स्थापित करने का वादा किया था, परंतु सरकार इस दिशा में आज तक कोई काम नहीं किया है और ट्रेफिक दुर्व्यवस्था वहीं की वहीं है ।
7. नई बसें, नये शेल्टर, नये आई.एस.बी.टी. नदारद- सरकार ने वर्ष 2016 के अंत तक डीटीसी के लिए 1380 सेमी लो फ्लोर बसें, 500 मिनी बसें तथा क्लस्टर स्कीम के अंतर्गत 1000 नई बसें खरीदने की घोषणा की थी । 1000 विशेष एयरकंडिशन्ड बसे प्रीमियम बस सर्विस के अंतर्गत चलाई जानी थी । इसके अतिरिक्त यात्रियों की अलग-अलग तरह की जरूरतों को पूरा करने के लिए सार्वजनिक-निजि-भागीदारी क्लस्टर योाजना के अंतर्गत नीजि क्षेत्र से विभिन्न विशेषताओं वाली 10000 नई बसें डीटीसी के बेड़े में शामिल करने वादा किया था । परंतु, इनमें से मात्र 215 बसें क्लस्टर स्कीम के अंतर्गत डीटीसी के बेड़े में जोड़ी गई है । वर्ष 2010-11 में डीटीसी की 6204 बसें चल रही थी, जो अब घटकर मात्र 4000 रह गयी है ।
द्वारका, रोहिणी और नरेला में नया अंतर्राज्जयीय बस अड्डा स्थापित करने की योजना मात्र स्वप्न बन कर रह गयी है । पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप के अंतर्गत 1397 नये बस शेल्टर निर्मित करने थे, परंतु, सरकार दो साल बीत जाने के बाद भी एक भी बस शेल्टर का निर्माण नहीं कर पाई है
8. महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकीः- उप-मुख्यमंत्री ने गत वर्ष के बजटीय भाषण में बड़ी शान से घोषणा की थी कि डीटीसी तथा क्लस्टर बसों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वाई-फाई सेवाएं, जीपीएस तथा सी.सी.टीवी कैमरे लगाने का तथा 4000 मार्शल नियुक्त करने का वादा किया था । ये सभी वादे टॉय टॉय फीस हो गया । प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में महिला रक्षक दलों के लिए 200 करोड़ रू0 रखे गये थे, जिन पर कोई काम नहीं हुआ । दिलशाद गार्डन, पीतमपुरा, बसंत गांव में 200 महिलाओं के लिए होस्टल बनाने का वादा भी स्वप्न रह गया ।
9. स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवाओं की बेहतरी के लिए आधारभूत ढांचे में कोई सुधार नहीं :- दिल्ली सरकार ने नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवाएं देने के उद्देश्य से लगभग 100 आम आदमी क्लीनिक स्थापित करने के अतिरिक्त कोई काम नहीं किया है । आम आदमी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में 900 नये प्राईमरी हैल्थ सेंटर खोलने का वादा किया था । यह भी वादा किया था कि दिल्ली के अस्पतालों में 30000 अतिरिक्त बिस्तरों की व्यवस्था की जायेगी, जिनमें से 4000 बिस्तरें मैटरनिटी वार्डों में खोलने की बात कही गयी थाी । परंतु, आज तक एक भी नया प्राईमरी चिकित्सा केन्द्र नहीं खोला गया है और न ही किसी अस्पताल में बिस्तरों की संख्या बढ़ाई गयी है ।
10. 1000 लक्षित आम आदमी मोहल्ला क्लीनिकों में से मात्र 108 क्लीनिक वह भी सरकार डिस्पेंसरियों की कीमत पर:- उप-मुख्यमंत्री ने 2015 में अपने बजटीय भाषण में 500 तथा चालू वित्त वर्ष में 1000 मोहल्ला क्लीनिक खोलने का वादा किया था । इस प्रकार डेढ़ हजार मोहल्ला क्लीनिक खुल जाने चाहिए थे । परंतु, कुल मिलाकर मात्र 108 ही खुले । मोहल्ला क्लीनिक बनाने के चक्कर में सरकार ने डिस्पेंसरियों का बेड़ा गरक कर दिया । इनके फार्मेसिस्ट तथा स्टाफ हटाकर इन क्लीनिकों में लगा दिया । इसके कारण डिस्पेंसरियों का आधारभूत ढांचा कमजोर पड़ गया ।
11. सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटलों में काम करना प्रारंभ नहीं किया:- सरकार ने कुछ अस्पतालों को सुपरस्पेशिलिटी अस्पतालों को अपग्रेड करने का वादा किया था । अभी तक एक भी अस्पताल कों अपग्रेड नहीं किया गया है । जनकपुरी और दिलशाद गार्डन में स्थिति सुपर स्पेशिलिटी अस्पतालों को आज तक चालू नहीं किया गया है । वर्तमान बढ़े अस्पतालों पर बोझ पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है, जिसके कारण इनकी व्यवस्था चरमरा गयी है ।
12. 60 करोड़ के आवंटन के बावजूद भी आम आदमी कैंटीन का अता-पता नहीं:- गत दो वर्षों में सरकार आम आदमी कैंटीन को खोलने के लिए 60 करोड़ रू0 आवंटित कर चुकी है । यह कैंटीन अस्पतालों, कार्यालयों, स्लम बस्तियों, औद्योगिक क्षेत्रों, मार्केट स्थानों, रेलवे स्टेशनों आदि पर खोले जाने थे । इन कैंटीनों के माध्यम से 5 से 10 रू0 की कीमत पर 10 लाख मजदूरों, 5 लाख हाकरों तथा 4 लाख से अधिक झुग्गी-झोपड़ी निवासियों को सुबह और शाम का पौष्टिक नाश्ता तथा दोपहर व रात का खाना उपलब्ध कराना था । परंतु, सरकार केवल लोक नायक अस्पताल में प्रयोग के तौर पर मात्र एक आम आदमी कैंटीन खोल पाई है, जिसका भविष्य भी अभी अधर में लटका है ।
13. समाज के कमजोर वर्गों की घोर उपेक्षा:- आम आदमी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि सत्ता में आने के एक साल के भीतर ही अनधिकृत कालोनियों को नियमित किया जायेगा और वहां के निवासियों को स्मामित्व के अधिकार सौंप दिये जायेंगे । परंतु, दो वर्ष बीत जाने के बाद भी यह वादा हवा-हवाई सिद्ध हुआ । अनधिकृत कालोनियों में सीवर लाईन डालने, स्कूल और अस्पताल बनाने के वादे धूल चाट रहे हैं । कहा गया था कि दिल्ली अर्बन आश्रम सुधार बोर्ड के पास 200 एकड़ खाली भूमि है, जिन पर समाज के कमजोर वर्गों के लिए मकान बनाये जायेंगे । स्लम निवासियों का ‘‘इन सीटू’’ विकास किया जायेगा । रैन बसरों की संख्या में कोई विशेष वृद्धि नहीं हुई और सुविधाओं के नाम पर मात्र औपचारिकताएं ही पूरी की जा रही है ।
उपरोक्त चुनावी वादों के अतिरिक्त सरकार जनहित और विशेष कर समाज के कमजोर वर्गों के लोगों के कल्याण के लिए अनेकोंनेक मन लुभावने वादे किये थे, जो आज तक सरकार भूले बैठी है ।
मोहल्ला सभा के माध्यम से विधायक विकास कोष के उपयोग पर आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जायेगी ।
दिल्ली की बिजली आपूर्ति में सुधार के लिए दिल्ली का अपना पावर स्टेशन स्थापित किया जायेगा ताकि पीक आवर की 6200 मेगावाट की क्षमता की मांग पूरी हो सके ।
दिल्ली में इस समय लगभग 1 लाख ई-रिक्शा चल रहे हैं, जिनमें से मात्र 2100 ही पंजीकृत है ।
दिल्ली को सोलर सिटी बनाया जायेगा ताकि 2025 तक 20 प्रतिशत ऊर्जा सौर ऊर्जा के रूप में उपलब्ध हो सके ।
दिल्ली में 2 लाख पब्लिक ट्वाईलेट बनाये जायेंगे, जिनमें से 1.5 लाख स्लम बस्तियों में होंगे तथा शेष 50000 सामान्य जनता के लिए होंगे ।
उपरोक्त में 50000 ट्वाईलेट महिलाओं के लिए बनाये जायेंगे ।
जल की उपलब्धता बढ़ाने क लिए झीलों, जोहरों, बावडि़यों को प्रोत्साहित किया जायेेगा ।
न्याय की गति में तेजी लाने के लिए 47 फास्ट ट्रेक कोर्ट बनाये जायेंगे । आवश्यकतानुसार कोर्टों को दो शिफ्टों में चलाया जायेगा ।
दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों को नागरिक सुविधाओं के क्षेत्र में वरीयता दी जायेगी ।
किसान हितैषी भूमि सुधार लागू किये जायेंगे ।
सारी दिल्ली में वाई-फाई स्थापित किया जायेगा ।
8 लाख नये रोजगार उपलब्ध कराये जायेंगे ।
दिल्ली सरकार अपने अधीानस्थ कार्यालयों में 55 हजार रिक्त स्थानों को भरेगी और अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी तौर पर नियुक्त करेगी ।
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