हमने वो काम किए जो शायद दिल्ली में पहले हुए नहीं थे: शीला दीक्षित
श्री अजय माकन ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली के अंदर पिछले तीन दिनों से एक बड़ा अजीब सा तमाशा, धरना तमाशा अब एयरकंडीशन में बैठकर हो रहा है। जहाँ पर दिल्ली की जनता पीने के पानी से, बिजली की कमी से और एयर पोल्यूशन से परेशान हैं। कॉरपोरेशन की अगर बात करें तो गंदगी का पूरी दिल्ली के अंदर अंबार है। भ्रष्टाचार कॉरपोरेशन के अंदर और दिल्ली सरकार के महकमों में जोरों-शोरों पर है और इन सब चीजों से ध्यान भटकाने के लिए हम देख रहे हैं कि एलजी के ऑफिस के अंदर ही एयरकंडीशन सोफों के ऊपर बैठ कर केजरीवाल जी और मंत्रिमंडल धरना कर रहे हैं और उसके मुकाबले हम देख रहे हैं कि दिल्ली के अंदर बीजेपी के जो सेंटर गवर्मेंट और कॉरपोरेशन के अंदर जो सत्ता में हैं, वो लोग सेंट्रली एयरकंडीशनड मुख्यमंत्री ऑफिस और कैबिनेट रुम के बाहर गद्दे बिछाकर बड़े मजे से वहाँ पर अपना धरना कर रहे हैं और इन दोनों के धरनों के बीच में दिल्ली की जनता पिस रही है और पूरी तरीके से ये सोची-समझी स्ट्रेटजी हैं, दोनों की मिलकर एक तरीके की स्ट्रैटजी है कि अपनी नामाकियों से दिल्ली की जनता का ध्यान भटकाया जा सके। 20 फरवरी को जिस वक्त चीफ सैक्रेटरी को रात को 12 बजे बुलाकर उनकी पिटाई की गई, तो उस वक्त ये स्ट्रेटजी दिल्ली केजरीवाल सरकार की शुरु हो गई और पूरा का पूरा स्क्रिप्ट लिखा गया, उस स्टाईल से लेकर के अब तक, ताकि उनको पता था कि जिस वक्त चीफ सैक्रेटरी की रात को 12 बजे बुलाकर पिटाई होगी तो उसका फोलआउट क्या होगा और उसके बाद में अब जो उसका फाईनल एक्ट है, उसको अब खेला जा रहा है, जिसके अंदर एलजी हाउस में बैठकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है ताकि लोगों का अपनी फैलियर से ध्यान हटाया जा सके।
ऐसे समय में हम लोग बताना चाहते हैं कि शीला दीक्षित जी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की 15वर्ष की सरकार रही और इसी कॉन्सिटिट्यूशनल सेटअप के अंदर, इसी कॉन्सिटिट्यूशनल फ्रेमवर्क के अंदर, इसी प्रकार की पॉवर डिस्ट्रिब्यूशन स्ट्रक्चर के अंदर हम लोगों ने दिल्ली के अंदर काम कर-कर के 1998 से लेकर 2013 के बीच एक के बाद एक छह चुनाव जीते। 15 वर्ष शीला दीक्षित जी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने काम किया और करके दिखाया। सबसे मजेदार बात ये है कि इन छह में से जो 4 चुनाव 1998 और 2004 के बीच के हैं, जो छह वर्ष में भाजपा की सरकार केन्द्र में थी और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। आज अगर शीला दीक्षित जी के नेतृत्व वाली जिन तीन चीजों के लिए विशेष तौर से आप ध्यान दें और उनको मानें तो एक मैट्रो के लिए और ये मैट्रो कब शुरु हुई, उसी 1998 और 2004 के बीच में, उस वक्त दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी और केन्द्र में वाजपेयी जी की सरकार थी और फस्ट फेज, सैकिंड फेज, थर्ड़ फेज तीनों के तीनों मैट्रो हमारे समय में हम लेकर आए, इसकी शुरुआत 1998 और 2004 के बीच में हुई।
दूसरी सबसे बड़ी जिसके लिए शीला दीक्षित जी की कांग्रेस सरकार जानी जाती है, वो सीएनजी के लिए जानी जाती है। पूरी की पूरी सीएनजी फ्लीट हम लोगों ने 1998 और 2004 के बीच में चेंज किया, जब पूरी की पूरी दिल्ली के अंदर एक लाख हमारे ट्राँसपोर्ट, पब्लिक ट्राँसपोर्ट सिस्टम जिसमें थ्री व्हीलर और टैक्सी भी हम लोगों ने की। दुनिया का सबसे बड़ा सीएनजी का बेड़ा शीला दीक्षित जी के पहले कार्यकाल में आया, जब केन्द्र में बीजेपी की सरकार थी और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।
तीसरा जो हम लोगों का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था, जिसका आज भी अगर कोई 15 वर्ष, 20 वर्ष पूर्व चला जाए दिल्ली के अंदर जो पॉवर रिफोर्म हम लोगों ने किया, उस पॉवर रिफोर्म के चलते आज दिल्ली में 24 घँटे बिजली आती है। एक ऐसा समय था 1998 में जब हम लोग आए थे, 56प्रतिशत दिल्ली में बिजली की चोरी होती थी और आज जो है 56 प्रतिशत से घटकर सिंगल डीजिट के अंदर आया है और उसका फायदा दिल्ली की जनता को मिल रहा है। फायदा कैसे मिल रहा है कि 1998-99 के अंदर हमारा टोटल प्लान बजट का 23 प्रतिशत, यानि लगभग एक चौथाई, 23 प्रतिशत जो है एनर्जी पॉवर सेक्टर में खर्च होता था। 2016 -17 में ये 23 प्रतिशत से कम होकर कितना हुआ, आप हैरान हो जाएंगे, 1.4 प्रतिशत। तो पूरे प्लान बजट का प्लान साईज का1.4 प्रतिशत अब सिर्फ पॉवर सेक्टर में खर्च होता है, क्योंकि पॉवर रिफोर्म कर दिए गए, चोरी रोक दी गई और पॉवर सेक्टर प्राईवेट हाथों में आया तो, वो पैसा जो सिर्फ 1.4 प्रतिशत सिर्फ प्लान फंड में से खर्च होता है, अब टोटल बजट में से, जो उस जमाने में 23-24 प्रतिशत के बीच में होता था, तो आप सोचें कि कितने हजारों-करोड़ रुपए, वो पैसा अब दिल्ली की जनता के लिए वापस खर्च हो रहा है।
तो आज हम लोग ये कहना चाहते हैं कि ये सारी की सारी चीजें कांग्रेस के समय में, कांग्रेस की देन थी और ऐसे समय में देन थी जब दिल्ली में और केन्द्र में अलग-अलग सरकार थी। जिस वक्त शीला दीक्षित जी की सरकार दिल्ली में आई उस समय हमारी टोटल वॉटर की ट्रीटमेंट की कपैसिटी 591 MGT की ट्रीटमेंट कपैसिटी थी। 591 MGT की ट्रीटमेंट कपैसिटी से बढ़ाकर के हमने916 MGT की ट्रीटमेंट की कपैसिटी के ऊपर पानी लेकर आए। इसके अंदर सोनिया विहार वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट हैं और भी बहुत सारे मुनक केनाल 330 क्यूसेक पानी हम लोग लेकर हरियाणा से आते हैं। गंगा केनाल बनाया गया, जो पानी गंगा से दिल्ली के अंदर आता है। अब पिछले चाल सालों में 916 MGT में एक भी MGT बढाया नहीं गया है।
हमारे समय में 5,500 सीएनजी बसों का बेड़ा दिल्ली में छोड़कर गए थे। 5,500 का डीटीसी का बेड़ा अब 3,500 डीटीसी का बेड़ा आ गया है, एक भी नई बस पिछले चार सालों में नहीं खरीद पाए हैँ। तो जो पॉवर केजरीवाल सरकार के पास खुद की है, जब उसका ही इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। तो दूसरी चीज वो किस तरह से मांगते हैं, हमारी समझ से बाहर है।
दूसरा मैंने कहा कि अलग-अलग हमारे पॉवर सेक्टर थे, केन्द्र में बीजेपी थी, हम यहाँ पर थे। हमने इस बीच में भी काम करके दिखाया और बार-बार काम करके लोगों को संतुष्ट किया और लोगों के आशीर्वाद से चुनाव जीत कर आए।
एजूकेशन के अंदर अगर हम बात करें, बाहरवीं के अंदर हमारे इस वर्ष जितने बच्चे पास हुए हैं,अभी तक के 2013-14 का हमारे आखिरी साल के आंकड़ों के बराबर नहीं कर पाए, जितने संख्या हमारे बच्चों की पास हुई। तो जो भी दसवीं के रिजल्ट 69 प्रतिशत रिजल्ट हैं। हम लोग जब थे तो दसवीं का रिजल्ट 98 प्रतिशत छोड़कर गए थे। तो जितने भी पैरामीटर आप देख लें, सभी पैरामीटर के अंदर इनके हालात, इनके पास जो पॉवर है, वो कम होती गई है और उसकी वजह से इन लोगों ने एक सोची-समझी नीति के तहत, एक स्ट्रेटजी के तहत फाईनल एक्ट हम देख रहे हैं कि जिसको 20 फरवरी को चीफ सैक्रेटरी की पिटाई की गई और अब वो धरना एलजी के ऑफिस के बाहर हो रहा है ताकि लोगों के दिमाग से अपनी नाकामियाँ और जो वायदे किए, उनसे ध्यान हटाया जा सके, इसके अलावा कुछ नहीं।
तो आज हम लोग और कांग्रेस पार्टी ये कहना चाहती है कि दोनों रुलिंग पार्टियाँ ये धरना पॉलिटिक्स करना बंद करें, दिल्ली की जनता की असली समस्याओं की तरफ ध्यान दें। हम लोगों ने जल सत्याग्रह पूरी दिल्ली के अँदर शुरु किया हुआ है। कल हम लोगों ने एय़र पोल्यूशन के खिलाफ में कनॉट प्लेस में मास्क रैली की थी। तो कांग्रेस पार्टी दिल्ली की जनता के बीच में जाकर उनकी आवाज उठाती रहेगी। विपक्ष के तरीके से हम काम करते रहेंगे लेकिन इन दोनों रुलिंग पार्टियों को मिलकर दिल्ली की जनता के लिए काम करना चाहिए और उस काम का एक उदाहरण शीला दीक्षित जी के नेतृत्व वाली सरकार ने बखूबी दिल्ली की जनता के लिए दिया है और हम उम्मीद करेंगे कि ये सरकारें भी वैसा काम करेंगी।
श्रीमति शीला दीक्षित ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप लोगों ने अजय माकन जी के सारे वक्तव्य सुन ही लिए हैं। इसके अलावा आपके अगर कोई प्रश्न हैं तो आप पूछ सकते हैं क्योंकि उन्होंने इसमें सब कुछ कवर कर लिया है। जो परिस्थिति आज की है और किस तरह से ये सरकार जो ड्यूली इलेक्टिड सरकार है, किस प्रकार से वो व्यवहार कर रही है, धरने दे रही है। सरकार को कभी मैंने धरने देते नहीं देखा है। तो उनका मकसद क्या है? वो क्या छुपाना चाह रहे हैं, जिसमें उनको कामयाबी नहीं मिली है? तो क्या उनका मकसद है, मैं समझ नहीं पा रही हूं।
एक प्रश्न पर कि जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल में शीला दीक्षित जी आप एक दिन भी सरकार चला कर दिखा दें, जिस तरह से उनके फोन नहीं उठाए जाते हैं, बात नहीं सुनी जाती हैं, तो धरने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं बचता है, श्रीमति दीक्षित ने कहा कि मैं एक साल मोदी सरकार के नीचे काम करुं, तो खैर ये मौका तो उन्हें कभी नहीं मिलेगा। उन्होंने ऐसी बात किस बुनियाद पर की है, पता नहीं। लेकिन एक बात मैं आपको बता दूं कि हमने भी जब पहला हमारा टर्म था, तो बीजेपी की सरकार केंद्र मे थी, जैसे कि अजय माकन जी ने आपको पहले ही बता दिया, उसके बावजूद हम प्राईवेटाईजेशन ऑफ पॉवर लेकर आए, सीएनजी लेकर आए, पानी की समस्या पर काम किया। हमने वो काम किए जो शायद दिल्ली में पहले हुए नहीं थे और दिल्ली में उसकी बहुत जरुरत थी। दूसरी बात जो मैं आपको कहना चाहती हूं, जो शायद आपको पता है कि दिल्ली एक यूनियन टैरेटरी है, तो जो केजरीवाल जी समझते हैं कि उनके वही कारनामे हो सकते हैं, जो यूपी के हैं, हरियाणा के हैं, तो पहले तो पढ़ें और लिखें तब जाकर बात करें। लड़ाई किस बात की है, यही आज तक समझ नहीं आया। अगर ये बात हमको और आपको समझ आ जाए कि वो किस लिए लड़ रहे हैं, किस लिए ये कदम उठाया है, तो शायद हमें भी कोई संतोष मिले कि ये लोग ठीक कर रहे हैं। लेकिन उनका मकसद क्या है, उद्देश्य क्या है, संविधान को ये लोग बदलना चाहते हैं। संविधान को ये लोग नहीं बदल सकते हैं, संविधान को एलजी नहीं बदल सकता है। संविधान तभी बदलेगा जब पार्लियामेंट इसे बदलेगी, संविधान को सिर्फ पार्लियामेंट ही बदल सकती है। तो पार्लियामेंट में जाईए आप, मोदी जी के पास जाईए और कहें कि संविधान में बदलाव चाहिए। So why you are fighting, आप किस चीज की लड़ाई लड़ रहे हैं? क्या आप काम नहीं करना चाहते हैं या लोगों का रुख बदलना चाहते हैं। पर लोग ऐसे बेवकूफ नहीं हैं, वो सब अच्छी तरह से जानते हैं, तो ये क्यों हो रहा है,किसलिए ये किया जा रहा है और कैसे किया जा रहा है। वो सब जानते हैं।
एक अन्य प्रश्न पर कि इस वक्त कांग्रेस का स्टेंड क्या है, क्या दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए, श्रीमति दीक्षित ने कहा कि मैं आपको एक साफ बात बता दूं कि हम लोग भी दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा मांग रहे थे। तीन बार हमने चुनाव लड़ा, तीनों बार हमारी ये मांगे थीं कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देना चाहिए। लेकिन हमें तभी समझ आ गया था कि पूर्ण दर्जा नहीं मिल सकता। कारण ये है कि दिल्ली जो है वो भारत की राजधानी है। इसलिए केन्द्र की सरकार लैंड और पुलिस राज्य को देने के लिए तैयार नहीं थी, जिस दिन तैयार होगी,संविधान उन्हें बदलना पड़ेगा। जिस दिन कोई भी सरकार तैयार हो जाएगी कि हम संविधान बदल देंगे, तब वो मिल जाएगा और नहीं तो उससे पहले नहीं हो सकता है। ये हमें भी मालूम है, लेकिन मांग करने में ऐसी बात नहीं है, मांग कर सकते हैं। हमने भी किया, लेकिन उसको हमने पॉलिटिसाईज नहीं किया, बहाना नहीं बनाया कि हम उसके बिना काम नहीं कर सकते हैं।
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