750 करोड़ का घोटाला है जिसे दिल्ली सरकार ने 1000 इलेक्ट्रीक बसों को खरीदने का प्रस्ताव है: अजय माकन
दिल्ली सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल हलफनामें में एक इलेक्ट्रीक बस की कीमत 2.5 करोड़ दर्ज की गई है, वही कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने उसी इलेक्ट्रीक बस को1.75 करोड में बंगलौर में खरीदी है। यह साफ तौर पर 750 करोड़ का घोटाला है जिसे दिल्ली सरकार ने 1000 इलेक्ट्रीक बसों को खरीदने का प्रस्ताव है। - अजय माकन
आप पार्टी की दिल्ली सरकार 1000 इलेक्ट्रीक बसों को खरीदने में 750 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करके धन बर्बाद कर रही है जो कि एक गंभीर मुद्दा है। - अजय माकन
दिल्ली सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम लिमिटेड (एनसीआरटीसी) में आपसी मतभेद के चलते दिल्ली सरकार ने परियोजना के लिए वर्तमान वर्ष में वितिय राशि जारी नही की है।- अजय माकन
भारत इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून का वैश्विक मेजबान है और “Beat Plastic Pollution” इसका मुख्य विषय है। लेकिन हम एक विपक्ष की भूमिका निभाते हुए कांग्रेस पार्टी इस बात को प्रकाश में लाना चाहती है कि दिन प्रतिदिन पर्यावरण और हवा और अधिक प्रदूषित हो रही है।- अजय माकन
नई दिल्ली, 5 जून, 2018 - दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री अजय माकन ने कहा कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार द्वारा 1000 इलेक्ट्रीक बसों को खरीदने के प्रस्ताव में 750 करोड़ का घोटाला सामने आया है, जिसकी घोषणा दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने बजटीय भाषण में की थी। श्री माकन ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल हलफनामें में एक इलेक्ट्रीक बस की कीमत 2.5 करोड़ दर्ज की गई है, वही कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने उसी इलेक्ट्रीक बस को 1 करोड 75 लाख में बंगलौर में खरीदी है। उन्होंने कहा कि यह साफ तौर पर 750 करोड़ का घोटाला है जिसे दिल्ली सरकार ने 1000 इलेक्ट्रीक बसों को खरीदने का प्रस्ताव है।
संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष श्री अजय माकन के अलावा पूर्व सांसद श्री महाबल मिश्रा, अ0भा0क0कमेटी के सचिव नसीब सिंह, वरिष्ठ नेता चतर सिंह व मुख्य मीडिया काॅआर्डिनेटर मेहदी माजिद मौजूद थे।
प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए श्री अजय माकन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली ईपीसीए (Environment Pollution (Prevention and Control) Authority) ने अपनी अभी की रिपोर्ट में सिफारिश की है कि कोर्ट आप पार्टी की दिल्ली सरकार के प्रस्ताव में विस्तृत जानकारी न होने की वजह से जारी नही कर सकती। ईपीसीए ने दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को पिछले रिकाॅर्ड के आधार पर वापस भेज दिया है जिसमें सीएनजी बसों को शामिल करने में कुछ भी नही था। श्री माकन ने कहा कि ईपीसीए आश्चर्यचकित है कि दिल्ली सरकार एक इलेक्ट्रीक बस की कीमत 2.5 करोड़ कहां से लाई है और ईपीसीए ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित भी किया कि आप पार्टी की दिल्ली सरकार अन्य शहरों की तुलना में बिना किसी तैयारी के इलेक्ट्रीक बसों को लाच कर रही है। दिल्ली सरकार देश के किसी भी अन्य शहर की तुलना में एक इलेक्ट्रीक बस पर अधिक खर्च कर रही है। श्री माकन ने कहा कि श्री भूरे लाल की अध्यक्षता में ईपीसीए ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित कर दिया है कि आप पार्टी की दिल्ली सरकार इलेक्ट्रीक बसों को खरीदने में 750 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करके धन बर्बाद कर रही है जो कि एक गंभीर मुद्दा है।
श्री माकन ने कहा कि हालाकि आप पार्टी की दिल्ली सरकार ने इस वर्ष ग्रीन बजट पेश किया था, लेकिन उसने राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कदम नही उठाया है। अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस पर संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए आज श्री अजय माकन ने कहा कि भारत इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून का वैश्विक मेजबान है और “Beat Plastic Pollution” इसका मुख्य विषय है। लेकिन हम एक विपक्ष की भूमिका निभाते हुए कांग्रेस पार्टी इस बात को प्रकाश में लाना चाहती है कि दिन प्रतिदिन पर्यावरण और हवा और अधिक प्रदूषित हो रही है। श्री माकन ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि सरकारी आंकड़़ों के अनुसार भारत 5.6 मिलीयन प्लास्टिक वेस्ट का उत्पादन करता है। जबकि दिल्ली प्लास्टिक उपयोग के लिए सबसे खराब शहर है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 2009 में एक कानून के माध्यम से दिल्ली में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया था और बाद में इसे सभी प्लास्टिक पैकेजिंग और एकल उपयोग डिस्पोजल प्लास्टिक में वितरित किया था, लेकिन प्रतिबंध शायद ही कभी लागू किया गया हो। श्री माकन ने कहा कि प्लास्टिक बेग आज भी सब्जी, फल, मीट और रेस्टोरेंटों में सामान के लिए मुख्य साधन है। श्री माकन ने कहा कि कांग्रेस पार्टी चाहती है कि केन्द्र की भाजपा सरकार और दिल्ली की आप पार्टी सरकार प्लास्टिक उत्पादन और उसकी खपत के लिए विरोध में कानून लागू करके प्लास्टिक उपयोग पर सख्त कदम उठाकर कार्रवाही करे। (पर्यावरण सबंधी विस्तृत नोट संलग्न है।)
श्री माकन ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत एशिया में तीसरी आर्थिक शक्ति है जबकि विश्व के 15 प्रदूषित शहरों में से 14 शहर भारत के है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण पिछले कुछ सर्दियों के महीनों से बढ़ रहा है। जिसमें कि दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण के स्तर में अभूतपूर्व बढ़ौतरी हुई है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा कि गर्मियों में प्रदूषण का स्तर का ग्राफ बदतर है। श्री माकन ने कहा कि सर्दियों में लोग प्रदूषण होने के कारण 42 सिगरेट के बराबर प्रदूषित हवा सांस के जरिए लेते है जबकि गर्मियों में 7-8 सिगरेट के बराबर प्रदूषण सांस के जरिए लेते है।
श्री माकन ने कहा कि पिछले साल परिवहन विभाग द्वारा तैयार दिल्ली रखरखाव और प्रबंधन पार्किंग नियम 2017 को अक्टूबर 2017 तक लागू होना था, लेकिन यह नीति अभी तक कही भी लागू नही की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण कानूनों का खराब प्रवर्तन था। 2016-17 के दौरान, डीपीसीसी (दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति) ने पानी, वायु,पर्यावरण अधिनियम के तहत बंद होने के लिए 10,797 शो काज़ नोटिस जारी किए थे, जो 2017-18 में 803 हो गया था। डीपीसीसी द्वारा 2017-18 में 312 बंद करने के निर्देशों में से 64 इकाइयां प्रभावी ढंग से बंद थीं। इस आंकड़े में इकाइयों को भी शामिल किया गया है, जिस स्थिति में बंद होने की दिशा बाद में रद्द हो गई।
श्री माकन ने कहा कि ’’एयर एम्बिएंश फंड’’ के तहत दिल्ली सरकार को ई-रिक्शा मालिकों को सब्सिडी जारी करनी थी। लेकिन फिर भी 6,168 ई-रिक्शा मालिकों को सुविधा का लाभ नहीं मिला है। जबकि 31-3-2018 तक, 181.94 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार के पास शेष बचे है।
श्री माकन ने कहा कि डीटीसी बसों की अधिक मांग के चलते, डीटीसी बसें दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की रीढ़ हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार के तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान डीटीसी के बेड़े में कोई बढ़ौत्तरी नहीं हुई है। केजरीवाल सरकार ने साल में दो बार मेट्रो किराए में बढ़ोतरी के कारण मेट्रो में सफर करने वालों में कमी आई है। उन्होंने कहा कि मेट्रो परियोजना के महत्वाकांक्षी चैथे फेस में दिल्ली सरकार के वित्तीय कारणों की वजह से एक साल से अधिक समय से अटका हुआ है, जबकि परियोजना के डीपीआर को जुलाई 2014 में मंजूरी दे दी गई थी।
श्री माकन ने कहा कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली-मेरठ हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना के लिए दिल्ली सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम लिमिटेड (एनसीआरटीसी) में आपसी मतभेद के चलते दिल्ली सरकार ने परियोजना के लिए वर्तमान वर्ष में वितिय राशि जारी नही की है। हालांकि इस छोटे से मुद्दे पर सरकार जानबूझकर फाइलों को रोके पड़ी है। श्री माकन ने कहा कि दिल्ली और मेरठ के बीच यात्रा करने वाले 36% यात्री कारों का उपयोग करते हैं, 32% उपयोग-शहरी रेलवे और 27% यात्रा के लिए दोपहिया का उपयोग करते हैं। लेकिन एक बार दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस तैयार होने के बाद, कार उपयोगकर्ताओं का हिस्सा 22% तक गिरने की उम्मीद है, वह दोपहिया वाहनों का हिस्सा 15%तक और लगभग 46% यातायात आरआरटीएस में स्थानांतरित होने की उम्मीद है, और यह 7 लाख यात्रियों को ले जाने की उम्मीद है। यूपी सरकार ने इस परियोजना के लिए मंजूरी दे दी थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने अभी तक ऐसा नहीं किया है, और ऐसा करके आप सरकार किस तरह के ग्रीन बजट के बारे में बात कर रही हैं।
श्री माकन ने अकेले दिल्ली में कहा, 971 पीयूसी (नियंत्रण में प्रदूषण) केंद्र हैं, लेकिन परिवहन विभाग में केवल 28 निरीक्षक हैं और उनमें से केवल एक इंस्पेक्टर इतने सारे स्टेशनों के वास्तविक आधार निरीक्षण के लिए उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने भ्रष्टाचार मुक्त दिल्ली का वादा किया है, लेकिन पीयूएस केंद्रों पर भ्रष्टाचार के चलते पास हुए वाहन प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसमें नकली सॉफ्टवेयर, झूठे पास जारी करने और अनुचित परीक्षणों का उपयोग शामिल है। श्री माकन ने कहा कि दिल्ली के लिए ईपीसीए द्वारा 13.7लाख उत्सर्जन डेटा का विश्लेषण किया गया है, लगभग 20 प्रतिशत परीक्षणों ने प्रदूषण के शून्य मूल्यों को दोहराया है। इस कार्यक्रम की प्रभावकारिता और आप को गवर्नमेंट सिस्टम की देनदारी प्रणाली पर गंभीर संदेह है
श्री माकन ने कहा कि जितने भी वाहन टेस्ट के लिए आते है उनकी दर में गिरावट है और डीजल वाहन केवल 1.68 प्रतिशत ही स्मोक डेन्सीटि टेस्ट में फेल होते है, जबकि 4.5प्रतिशत पेट्रोल वाहन सी.ओ और एच.सी टेस्ट में फेल होते है। जबकि यह कार्यक्रम को लागू करने का कोई फायदा नही है क्योंकि 15% प्रदूषण फैलाने वाले वाले वाहनों को भी नही पकड़ा जा रहा है।
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