यमुना जल में अमोनिया की मात्रा बढ़ने के लिये हरियाणा नहीं दिल्ली सरकार की असफलता जिम्मेदार है!
मनोज तिवारी ने उपराज्यपाल महोदय को पत्र लिखकरयमुना जल प्रदूषण रोकने में दिल्ली सरकार की विफलता की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुये मांग की है कि सी.पी.सी.बी. की रिपोर्ट पर चर्चा कराई जाये क्यांेकि अब यह स्पष्ट है कि दिल्ली में यमुना जल में अमोनिया की मात्रा बढ़ने के लिये हरियाणा नहीं दिल्ली सरकार की असफलता जिम्मेदार हैं
नई दिल्ली, 17 फरवरी। भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने कहा है कि सी.पी.सी.बी. की रिपोर्ट के बाद अब यह स्पष्ट है कि दिल्ली सरकार यमुना में प्रदूषण रोकने में असफल रही है जिसके कारण यमुना के जल में अमोनिया की मात्रा अत्यधिक बढ़ गई है और वह मानव के उपयोग के लायक नहीं बचा है।
श्री तिवारी ने कहा है कि जिस तरह दिवाली के बाद दिल्ली में बढ़े हुये प्रदूषण की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार ने हरियाणा पर डालने की कोशिश की थी उसी तरह अब यमुना के प्रदूषण की जिम्मेदारी भी हरियाणा पर डालने का प्रयास केजरीवाल सरकार ने किया। दिल्ली सरकार ने कहा कि हरियाणा दिल्ली के लिये प्रदूषित पानी छोड़ रहा है पर सी.पी.सी.बी. की रिपोर्ट से साफ हो गया है कि दिल्ली सरकार यमुना प्रदूषण के लिये हरियाणा से कहीं ज्यादा जिम्मेदार है।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि समाचार पत्रों के माध्यम से मिल रही सी.पी.सी.बी. रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि हरियाणा से आने वाले पानी में अमोनिया की मात्रा बहुत सीमित होती है। सी.पी.सी.बी. की रिपोर्ट ने साफ किया है कि हरियाणा में पानीपत एवं हथनीकुंड बैराजों पर पानी में अमोनिया की मात्रा 0.1 से 0.6 पी.पी.एम. के बीच में है और दिल्ली में प्रवेश के बाद सबसे पहले पड़ने वाले वज़ीराबाद पर यह मात्रा 1.4 पी.पी.एम. हो जाती है जो कि 0.8 पी.पी.एम. के सुरक्षित स्तर से बहुत अधिक है।
श्री मनोज तिवारी ने कहा है कि ज़मीनी वास्तविकता यह है कि दिल्ली सरकार के जलबोर्ड के ट्रीटमेंट प्लांटों की क्षमता केवल 0.9 पी.पी.एम. अमोनिया स्तर को ट्रीट करने की है जबकि दिल्ली जलबोर्ड के पांच बड़े नाले यमुना को सोनिया विहार, नज़फगढ़, दिल्ली गेट, आई.टी.ओ. एवं बारापूला पर यमुना को बड़ी मात्रा में प्रदूषित करते हैं और ओखला बैराज के पास यमुना के आसपास हुये अवैध निमार्णों से भी दिल्ली में बहने वाली यमुना नदी में प्रदूषण एवं अमोनिया लेवल 30 से 40 गुना बढ़ जाता है।
श्री तिवारी ने कहा है कि वायु प्रदूषण के मामले में अरविंद केजरीवाल सरकार की विफलताओं का अनुभव और अब सी.पी.सी.बी. की जल प्रदूषण पर यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि अरविंद केजरीवाल सरकार में प्रदूषण से लड़ने की इच्छाशक्ति की कमी है। दिल्ली के पास प्रदूषण से लड़ने के लिये वित्तीय संसाधनों की कोई कमी नहीं है, खुद दिल्ली सरकार 100 करोड़ रूपये से अधिक प्रति माह प्रदूषण सेस में एकत्र करती है और उसके पास अपने दिल्ली के एवं केन्द्र सरकार के प्रदूषण नियंत्रण बजट प्रावधान भी हैं जिनका सरकार ने पिछले 3 वर्षों में उपयोग ही नहीं किया है।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने दिल्ली के उपराज्यपाल श्री अनिल बैज़ल को पत्र लिखकर जांच की मांग करते हुये कहा है कि वह दिल्ली जल बोर्ड के वज़ीराबाद, सोनिया विहार, द्वारका एवं ओखला के जलसंयंत्रों पर प्रदूषण साफ करने की क्षमता बढ़ाये जाने का निर्देश दें। इन सभी संयंत्रों पर केवल 0.9 पी.पी.एम. अमोनिया लेवल को साफ करने की क्षमता है अतः अमोनिया लेवल 3.0 से 3.5 पी.पी.एम. की सफाई के लिये विशेष तकनीकि व्यवस्था किये जायें। पत्र में मांग की गई है कि जल्द से जल्द सभी छोटे-बड़े नालों के गंदे पानी एवं गाद के सीधे यमुना में गिरने पर रोक लगाई जाये।
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