दिल्ली में आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने पानी की दरों में 20 प्रतिशत की बढ़ौत्तरी करके मुफ्त पानी देने का झूठा प्रचार करके लोगों को गुमराह कर रही है- अजय माकन
· आप पार्टी की दिल्ली सरकार ने तीन वर्षों में पानी की दरों में 30 प्रतिशत की वृद्धि करके केवल 8 प्रतिशत लोगों को सब्सिडी दे रही है जबकि 50 लाख घरों के अनुपात में 92प्रतिशत लोग बढ़ी हुई दरों से प्रभावित हो रहे है- अजय माकन
· दिल्ली कांग्रेस केजरीवाल सरकार द्वारा पानी की दरों पर सब्सिडी के झूठे प्रचार के खिलाफ 1 जनवरी 2018 के बाद आंदोलन करेगी - अजय माकन
· श्री माकन ने केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी को कन्वर्जन शुल्क को आवासीय से व्यवसायिक की 10 से 100 प्रतिशत करने को लेकर पत्र लिख।
· यदि 1जून 2014 के बिल में संशोधन करके उसकी तारीख 1 जून 2017 नही की गई तो दिल्ली में शहरीकृत गांव और अनाधिकृत कालोनियों में बड़े स्तर पर तोड़फोड़ होगी- अजय माकन
नई दिल्ली, 27, दिसम्बर, 2017 - दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री अजय माकन ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने कल पानी की दरों में 20 प्रतिशत की बढ़ौत्तरी के बाद झूठा प्रचार करके लोगों को गुमराह कर रहे है, जिसके लिए केजरीवाल को जनता से माफी मांगनी चाहिए। श्री माकन ने कहा कि आप पार्टी ने तीन वर्षों के शासन काल में दिल्ली जल बोर्ड ने दूसरी बार पानी की दरें में बढ़ौतरी की है। फिर भी केजरीवाल सरकार दिल्लीवासियों को मुफ्त पानी देने का झूठा दावा कर रही है, और जितने घरों को यह पानी की सब्सिडी दे रहे है वह दिल्ली की जनसंख्या का केवल 8 प्रतिशत है।
श्री माकन ने केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी को दिल्ली में हो रही सीलिंग और तोड़फोड़ के संबध में एक पत्र लिखा, जिसमें कन्वर्जन शुल्क को आवासीय से व्यवसायिक क्षेत्र में कम करने का अनुरोध किया है जिसमें आवासीय क्षेत्र से व्यवसायिक क्षेत्र तक कन्वर्जन शुल्क 10 से 100 प्रतिशत घटाया जाए क्योंकि इससे व्यवसाय पूरी तरी प्रभावित हो रहे है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोग निगम द्वारा चलाई जा रही सीलिंग और तोड़फोड़ की मुहिम की चपैट में पूरी तरह से फंस गए है। पत्र की कापी सलंग्न है।
प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष श्री अजय माकन ने कहा कि दिल्ली सरकार के 2016-2017 के बजट में सरकार ने यह माना है कि दिल्ली जल बोर्ड 4,28,000 घरों को पानी की दरों में सब्सिडी देकर प्रतिमाह 20,000 लीटर पानी उपलब्ध करा रहा है। श्री माकन ने कहा कि पूरी दिल्ली में 40,000 पानी के मीटर लगे है जबकि 2011 के सेनसस के अनुसार पूरी दिल्ली में 46,05,555 घर है। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक वर्ष दिल्ली की जनसंख्या में 2.42 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है जिसके अनुसार 2017 में दिल्ली में लगभग 50 लाख घर होने चाहिए। श्री माकन ने कहा कि दिल्ली में 50 लाख घर होने के अनुपात में दिल्ली सरकार केवल 8 प्रतिशत को ही पानी की दरों में सब्सिडी दे रही है जबकि 92 प्रतिशत अपने घर वाले पानी की बढ़ी हुई दरों से प्रभावित होंगे, जबकि आप पार्टी की दिल्ली सरकार ने 3 साल के शासन में एक तिहाई पानी की दरों में और बढ़ौरती की है। उन्होंने कहा कि पानी की बढ़ी हुई दरों के साथ 60 प्रतिशत सीवर का शुल्क भी इसके साथ लगेगा। संवाददाता सम्मेलन में श्री अजय माकन के साथ प्रवक्ता श्रीमती पूजा बाहरी, वरिष्ठ नेता श्री चतर सिंह मुख्य मीडिया कॉआर्डिनेटर मेहदी माजिद मौजूद थे।
श्री माकन ने कहा कि वे केजरीवाल से पूछना चाहते है कि वे सिर्फ 8 प्रतिशत लोगों को पानी की सब्सिडी देकर दिल्लीवासियो को मुफ्त पानी की देने की झूठी बात क्यों कर रहे है। केजरीवाल सरकार के द्वारा पानी को लेकर लोगों को गुमराह करने व झूठा प्रचार करने पर श्री अजय माकन ने केजरीवाल सरकार से बिना शर्त माफी मांगने की मांग की।
श्री माकन ने शहरी विकास मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी को लिखे अपने पत्र में श्री अजय माकन के शहरी विकास मंत्री 2006 से 2009 तक रहते हुए अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने 2021 के मास्टर प्लान तथा उसके उपरांत 2012-13 के यूपीए सरकार के शहरी विकास मंत्री के कदम मे कन्वर्जन शुक्ल का हवाला के देते हुए कहा कि शहरी विकास मंत्री के चैम्बर में 30 मई 2008 को डीडीए ने कन्वर्जन शुल्क के आवासीय तथा व्यवसायिक दरों के बीच 50 प्रतिशत के फर्क को कम करके 25 प्रतिशत कर दिया था। जबकि 2011 में इसको चौगुना करके 100 प्रतिशत कर दिया था। उन्होंने कहा कि औद्योगिक से व्यवसायिक कन्वर्जन की दरें 2009 में दोनों में 10 प्रतिशत का अंतर रखा गया था। श्री माकन ने हरदीप पुरी को लिखे पत्र में यह सुझाव दिया है कि तथ्यां के आधार पर आवासीय से व्यवसायिक कन्वर्जन चार्ज को 100 प्रतिशत से कम करके 10 प्रतिशत कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद स्थानीय निकाय द्वारा इक्ट्ठा किए गए इस कन्वर्जन शुल्क को सही तरीके से इस्तेमाल करने में नाकाम रहीं है।
श्री माकन ने अपने पत्र में यह कहा कि यूपीए सरकार ने दिल्ली स्पेशल लॉ एक्ट बनाया था ताकि अनाधिकृत कालोनियों, गांवो के आबादी के क्षेत्र, करोल बाग तथा वाल्ड सिटी के स्पेशल क्षेत्रों को इस कानून के तहत लाया गया था ताकि यह पर हुए निमार्ण को सुरक्षित किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत रेहड़ी पटरीवालो तथा फेरी लगाने वाले तथा शहरों से रेहड़ी पटरी वालों की जीविका को सुरक्षित किया गया था। उन्होंने इस कानून के अन्तर्गत झुग्गी झौपड़ी वालों के खिलाफ होने वाली किसी भी कार्यवाही से सुरक्षित किया गया था। उन्होंने कहा कि दिल्ली स्पेशल लॉ एक्ट में अनाधिकृत निर्माण की तारीख में संशोधन किया जिसको 8 फरवरी 2007 में बढ़ाकर 1 जून 2014 कर दिया गया था, जबकि वर्तमान संशोधन में इस प्रकार के किसी तारीख की एक्सटेन्शन का कोई जिक्र नही है इसलिए कोई भी निर्माण जो 1जून 2014 के बाद हुआ है वह अनाधिकृत माना जाना जाएगा। जिसके कारण दिल्ली में अनाधिकृत कालोनियों तथा गांव की आबादी में रहने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
श्री माकन ने कहा कि शहरीकृत गांव के लोगों को दिल्ली के विकास के चलते बलिदान देना पड़ा है क्योंकि विकास के लिए उनकी जमीनों का अधिग्रहण किया गया तथा अनाधिकृत कालोनियों में रहने वाले लोगों ने दिल्ली के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने अभी तक शहरीकृत गांव तथा अनाधिकृत कालोनियों के लिए कोइ व्यवस्थित कार्य योजना नही बनाई है। तथा केन्द्र सरकार को शहरीकृत गांवों तथा अनाधिकृत कालोनियों में किए गए निर्माण की सुरक्षा करनी चाहिए। उन्होंने शहरी विकास मंत्री को इन सब बातों को ध्यान में रखकर एक नया बिल लाने का सुझाव दिया जिसके तहत 1 जून 2017 तक शहरीकृत गांव तथा अनाधिकृत कालोनियों में हुए निर्माण को सुरक्षित किया जाए।
श्री माकन ने कहा कि उन्हें संशोधन बिल को लेकर दुख हुआ है क्योंकि इस बिल के द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में रेहड़ी पटरी वालां को न उजाड़ने की दी गई सुरक्षा से वंचित कर दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली नगर निगमों तथा आप पार्टी की दिल्ली सरकार के रुखे रवैये के कारण पिछले दिनों में लाखों रेहड़ी पटरीवालों को दिल्ली से उजाड़ दिया गया। इस परिस्थिति में भाजपा की केन्द्र सरकार के द्वारा रेहड़ी पटरीवालों को दी गई सुरक्षा को वापस लिया जाना का सीधा अर्थ है कि दिल्ली के तकरीबन 5 लाख रेहड़ी पटरीवालों के उजड़ने तथा उनकी जीविका पर सीधा प्रहार होगा। उन्होंने मांग की कि हाल ही में जो कानून में संशोधन किया गया था उसको यूपीए सरकार द्वारा रेहड़ी पटरीवालों को दी गई सुरक्षा के अनुरुप दोबारा उसी स्थिति में कर दिया जाए। टाउन वेडिंग क्षेत्र बनाए जाने चाहिए थे तथा सर्वेक्षण पूरा हो जाना चाहिए था।
श्री माकन ने यह मांग की कि वर्तमान संशोधन बिल को तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाए और एक नया बिल लाया जाए जिसके द्वारा दिल्ली के रिहायशी क्षेत्रों जिसमें शहरीकृत गांव व अनाधिकृत कालोनियों के निवासियों तथा दिल्ली के रेहड़ी पटरी वालों को सुरक्षा मिल सके। न सिर्फ ग्रेटर कैलाश और डिफेंस कालोनियों में रहने वाले लोग प्रभावित होंगे बल्कि दिल्ली में रहने वाली तकरीबन 60 प्रतिशत जनसंख्या भी प्रभावित होंगी।
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